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January 2015 – Gopal Krishna Agarwal

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल – मेरा अनुभव

रचनात्मक विधाओं में साहित्य ऐसा क्षेत्र है जिसे संगीत, नाटक, पेन्टिंग और मूर्तिकला आदि आदि से ज्यादा प्रतिष्टा हासिल है। शायद इसकी वजह है मीडिया से जुड़े लोग साहित्य सृजको के मुखातिब रहते आए है। दुनिया के सारें लोकप्रिय साहित्य मेलों में से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की एक अपनी अलग ही पहचान बन गई है।

आयोजको के अनुसार हेरीटेज रिसोर्ट डिग्गी पैलेस के छह आयोजन स्थलों पर आयोजित हुए। इस महोत्सव में करीब 240 लेखकों ने 175 से अधिक सत्रों में हिस्सा लिया। 15 से अधिक देश के लेखकों एवं विशेषज्ञों की समारोह में मौजूदगी रही। महोत्सव की संस्थापक निदेशक नमिता गोखले ने बताया कि विभिन्न मुद्दों के ही साथ ‘डेमोक्रेसी डायलाग्स’ विषयों पर चर्चा द्वारा राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव के बड़े मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया। 

समारोह में क्षेत्रीय भाषाओं के इतिहास पर भी प्रकाश डाला गया। इसमें मुझे दो दिन भाग लेने का मौका मिला। जिन विचारकों को मुझे सुनने और बातचीत करने का मौका मिला इसमें प्रमुख थे। डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम, एन आर नारायण मूर्ती, राजीव मलोहत्रा आदी। अब्दूल कलाम जी को सुनने का युवाओं में काफी उत्साह था।

महोत्सव में महत्वपूर्ण बात लगी की उसका स्वरुप ऐसा रखा गया है कि सम्मेलन में 80 प्रतिशत भागीदीरी 30/35 वर्ष से कम के लोगों आयु की थी। और वे बहुत बड़- चड़ कर भागीदारी ले रहे थे। चर्चा के बाद सभी में प्रस्न उत्तर जरुर रखें गए थे। उन प्रश्नों का स्तर बहुत अच्छा था। जानने और सुनने की जिज्ञासा सभी में बहुत थी। विदेशी साहित्याकारों की काफी संख्या में मौजूदगी थी।

सत्रों में भागीदारी निशुल्क थी। यह महत्वपूर्ण उपलब्धी थी क्योंकि आयोजन की विशालता को देखकर ही समझ आता था कि खर्च काफी किया गया था लेकिन प्रयोजक मिल गए थे। यह साहित्यिक गतिविधियों के लिए शुभ संदेश है।

संस्कृत भाषा पर भी एक महत्वपूर्ण सत्र था। इस दौरान पौराणिक ग्रंथो रामायण और महाभारत पर भी चर्चा की गई। दर्शन पर एक सत्र Bettany Hughes की किताब, Socrates, Athens and Search for good life पर बड़ा अच्छा था Socrates के विचार और उनके जिवन एंव मृत्यु सभी प्रेरणादायी है। Socrates ने अपने आप कुछ भी नहीं लिखा है। उन्हें जहर इसलिए पीना पड़ा क्योंकि उनपर इल्जाम था कि वे युवाओं को सोचने के लिए प्रेरित कर रहें है।

एक सत्र बड़ा अच्छा लगा जिसमें इंगलैंड की lunar societies के बारे में काफी विस्तार से जानकारी दी गई और चर्चा की गई कि कैसे इस समूह ने इंगलैंड में नए नए आविश्कारों के लिए  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह समूह हर पंद्रह दिन में परिवारों से मिलता और नए नए विचारों के द्वारा आविश्कार कर पाया।

अन्तिम सत्र में जो चर्चा का विषय था culture is the new politics जिसमें online poll भी था। इसमें लगा कि आयोजकों ने जानबूझ कर शाजिया इलमी को भाजपा/संघ विचार की प्रष्टभूमी पर बुलवा कर पूरी विचारधारा को कटघरें में खड़ा करने का प्रयास किया। सुहैलसेठ आक्रामक तरीके से बोल कर शाजिया की कमजोर विचारधारा की पकड़ कों उभारने का काम कर रहें थे।

हमारी तरफ से कोई प्रखर विचारक होना चाहिए था। जो विषय की गहराई को समझ कर ठीक ढ़ग से अपने पक्षको रख सकता। श्री राजीव मलहोत्रा ने जरुर अपना पक्ष मजबूती से रखा।

कुल मिलाकर आयोजन अच्छा एंव सफल था। युवाओं की इसमें उत्साहपूर्ण भागीदारी महत्वपूर्ण थी। और मुझे लगता है कि मोदी जी का Read India Campaign आने वाले समय में युवाओं को पढने और लिखने की तरफ तेजी से प्रेरित करेगा। उनमे पूर्ण जिज्ञासा है। ऐसे कारयक्रमों का आयोंजन भाजपा और संघ की वैचारिक संस्थाओ को भी समय समय पर करने चाहिए।

एक बात का जरुर खतरा नजर आया कि अगर आयोजन की दिशा पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यह आयोजन साहित्यिक कम और मौज मस्ती का अड्डा बनने का खतरा रहेगा।

दिल्ली की राजनीति

एक साल राष्ट्रपति शासन में गुजारने के बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. तीन बड़े दावेदारों में बीजेपी और आम आदमी पार्टी रेस में आगे नजर आ रहे है। तो वहीं 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में रही कांग्रेस अब सर्वहारा की तरह अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. दिल्ली का दंगल कहने को तो त्रिकोणीय है मगर असल लड़ाई नई नवेली आप और सियासत की बारीकियां जानने वाली बीजेपी के बीच ही होगी।

देश की पहली महिला आइपीएस अधिकारी किरण बेदी के भाजपा में शामिल होते ही सियासी गतिविधिया जोर पकड़ने लगी है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सदस्या ग्रहण करने पर बेदी ने कहा कि वह अब मिशन मोड पर हैं। उन्होंने इसके लिए भाजपा को धन्यवाद भी दिया। किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने से भाजपा को दिल्ली चुनाव में मजबूती मिलेगी। दिल्ली चुनाव के बाद बनने वाली भाजपा सरकार में बेदी की रचनात्मक भूमिका रहेगी। किरण बेदी का पूरा जीवन भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में बीता है। वह दिल्ली में विभिन्न पदों पर तैनात रही हैं। उनकी छवि का लाभ भाजपा को चुनाव में मिलेगा।

तो वहीं पार्टीयों की बात की जाए तो पिछले चुनाव में दिल्ली में अधिकतर सीटों पर बीजेपी पहले स्थान पर रही लेकिन कांग्रेस विरोधी आप, कांग्रेस का ही सहारा लेकर बीजेपी को बाहर करने में सफल रही।  इस बार बेदी के बीजेपी में शामिल होने से घबराई आप ने सत्ता हासिल करने के लिए नए- नए हथकंडे अपनाने शुरु कर दिए है। कभी रोड शो की तैयारी कर रहे है तो कभी स्वच्छता अभियान चला रहे है। देखना बेहद दिलचस्प होगा की यह कोशिश कितनी काम आती है केजरीवील के लिया। अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाई और अपनी राजनीति कर रहे

हैं, जिसके चलते वह पहली ही बार में दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए थे, अपनी राजनीति के चलते महज 49 दिनों में इस्तीफा देने पर वह लोकसभा चुनावों में उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए… वह आज भी दिल्ली की जनता को अपने बेवजह इस्तीफे की सफाई दे कर कह रहे हैं कि अबकी बार मौका दो, तो पांच साल तक इस्तीफा नहीं दूंगा… अब यह तो जनता तय करेगी कि वे, मौका देने लायक हैं या नहीं…

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की डूबती नाव को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी का सहारा भी नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस ने राहुल से पांच सभाओं की मांग की थी, लेकिन मंजूरी महज दो की मिली। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महज एक रैली करेंगी। यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले आधा दर्जन रैलियां कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा और आम आदमी पार्टी के आक्रामक प्रचार की काट खोजना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया है। ज्यादा जोगी मठ उजाड़ की तर्ज पर कांग्रेस में नेताओं की बहुतायत चुनाव संचालन में बाधा बन रही है। प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के असहयोग के कारण प्रचार अभियान शुरू होना तो दूर पार्टी चुनाव अभियान समिति तक की घोषणा नहीं कर सकी है। कांग्रेस का अभियान पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय तक सिमट गया है। मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रही कांग्रेस प्रेस वार्ताओं के जरिये भाजपा की आड़ में आप और आप के सहारे भाजपा पर हमलावर होने की कोशिश कर रही है। दोनों पार्टियों पर अपने वादों से हटने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने पहले के आरोपों को ही दोहराया है।

आजकल सबसे बड़ी बहस यह है कि मोदी लहर से दिल्ली में सत्ता हासिल करने वाली भाजपा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की 49 दिनों की सरकार में कौन बेहतर है। दिल्ली का मूड क्या है और 10 फरवरी को किसे बहुमत मिलेगा। इसी पर जी न्यूज ने तालीम रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से एक ऑनलाईन सर्वे किया है। सर्वे के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा 37 सीटें जीत सकती हैं जबकि आम आदमी पार्टी 29 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी होगी। चार सीटों के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रहेगी।

सर्वे के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में भाजपा को 45% वोट मिलेगा जबकि आम आदमी पार्टी को 34.2% वोट हासिल होगा। कांग्रेस को मात्र 13.7% वोट।

जब मतदाताओं से पूछा गया कौन सी पार्टी दिल्ली में अच्छा प्रशासन दे सकती है, तब 45.1% मतदाताओं ने बताया कि भाजपा अच्छा प्रशासन दे सकती है। 34.6% मतदाताओं ने बताया कि आम आदमी पार्टी जबकि 14.7% मतदाताओं ने कांग्रेस को अपनी पसंद बताया।

हालांकि दिल्ली में 84.3% मतदाताओं का मानना है कि महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। 70.8% मतदाताओं ने रोड और बिजली को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। 69.9% ने भ्रष्टाचार को। 60.9% ने महिला सुरक्षा को।

54.1% मतदाताओं ने बताया कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने से केंद्र की भाजपा की सरकार से पूरा सहयोग मिलेगा। खैर देखना यह है कि दिल्ली के जनता के दिलों में कौन सी पार्टी राज कर पाती है।

विश्व बैंक – भारत 2016-17 में चीन की विकास दर के समान होगा।

किसी भी देश की नितियां निवेशकों को निवेश के लिए प्रेरित करती है। भारत के संदर्भ में भी यह बात उतनी ही लागू होती है जितना अन्य देशों के लिए। इन्हीं नितियों में शामिल है बजट घाटे पर किया गया वादा। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार ने 4.1% बजट घाटा संख्या रखा। साथ ही यह भी प्रतिबद्धता दिखाई है कि इसे घाटाकर 3% करने की पुरी कोशिश की जाएगी। देखा जाए तो सरकार सही दिशा की तरफ कदम रख रही है। सरकार देश में होने वाले व्यय को गंभीरता से देख रही है ताकि जहां अधिक आय व्यय हो रहा है वहां कटौती कर महत्वपरूर्ण जगहो पर निवेश किया जा सके।

सरकार द्वारा ऐसी कई आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों को लेकर उत्साहित वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत 2016-17 में चीन की विकास दर के समान विकास दर हासिल कर लेगा। पिछले कुछ समय में यह पहली बार होगा, जब भारत की विकास दर एशियाई दिग्गज चीन की अर्थव्यवस्था के पास पहुंच जाएगी। वर्ल्ड बैंक ने वर्ष 2014 के लिए विकास दर के 5.6 रहने का अनुमान जताया था और वर्ष 2015 में उसने विकास दर 6.4 रहने का पूर्वानुमान जताया है, जबकि उसने वर्ष 2014 में चीन की विकास दर 7.4 (अनुमानित) और वर्ष 2015 में उसकी 7.1 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान जताया।

तो वहीं वर्ल्ड बैंक की आई रिपोर्ट में यह चेतावनी है कि आने वाला साल ग्लोबल इकॉनमी के लिए मुश्किलों भरा साबित हो सकता है। इस नाजुक वैश्विक सुधार के नीचे कई तरह के परस्पर विरोधी रुझान भी चल रहे है जिनका वैश्विक सुधार पर उल्लेखनीय असर होगा। अमेरिका और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्थाएं रफ्तार पकड़ रही है क्योंकि श्रम बाजार में सुधार हो रहा है और मौद्रिक नीति बेहद अनुकूल है। लेकिन यूरो क्षेत्र और जापान में आर्थिक स्थिति में सुधार अभी रुक-रुक कर बढ़ रही है क्योंकि वित्तीय संकट का असर अब भी महसूस किया जा रहा है। हालांकि, इस बीच विश्व बैंक ने यह कहा है कि भारतीय इकॉनमी के लिए यह बेहतर दौर साबित होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 6.4 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। दक्षिण एशिया के साथ भारत का व्यापार काफी बढ़ सकता है। दक्षिण एशिया के कुल उत्पादन में भारतीय अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 80 फीसदी है।

भारत के लिए मौके

रिर्पोट की माने तो पिछले समय में किए गए समायोजनाओं ने वित्तिय बाजार की अस्थिरता के कारण पैदा होने वाली असुरक्षा को कम किया है। बैंक के अनुसार, भारत में सुधारों और विनियमन के क्रियान्वयन से एफडीआई में वृद्धि होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा, ‘निवेश के जरिए वर्ष 2016 तक विकास दर में मजबूती और वृद्धि आनी चाहिए और यह 7 प्रतिशत तक पहुंचनी चाहिए। हालांकि, यह सुधारों की मजबूत और सतत प्रगति पर निर्भर करता है। सुधार की गति जरा सी भी धीमी होने का नतीजा मंदी से उबरने की रफ्तार को पहले से कहीं अधिक अवरुद्ध कर सकता है।’ इसमें कहा गया, ‘भारत में अर्थव्यवस्था का धीमी गति से पटरी पर लौटना जारी है, इसके साथ ही महंगाई में तेज गिरावट आई है। व्यापारिक क्षेत्र के एक बडे सहयोगी अमेरिका में मांग बढ़ने के चलते निर्यात की गति में तेजी आई है।’ विकास की हालिया गति को बनाए रखने के लिए सुधारों की गति और राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखना जरूरी है।’

इसी गति को लगतार बनाए रखने के लिए सरकार चाहती है कि वर्ल्ड बैंक और एशियन डिवेलपमेंट बैंक जैसे संस्थान उसकी राय पर काम करें। नए साल में जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, इन संस्थाओं को सभी अहम सेक्टरों की स्टडी के लिए सरकार की औपचारिक मंजूरी की जरूरत होगी। यह नियम इन डिवेलपमेंट बैंकों की भारत से जुड़ी और रीजनल स्टडीज पर लागू होता है।

कुल मिलाकर आने वाले बजट पर भारत एंव विश्व के उद्योगपतियों की नजर गड़ी हुई है कि भारत आर्थिक सुधार के साथ समावेशी विकास के मार्ग पर कितनी सफलता से बढ़ सकता है। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली की परिक्षा की घड़ी है। लेकिन देश को इतना सक्षम वित्त मंत्री शायद ही कभी मिला होगा।

आने वाला समय हम सब के लिए शुभ संदेश लाएगा।

हिन्दुओं और सिखो की पाकिस्तान में विकट स्थिति

HRDI के अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन में श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल का संबोधन 11 जनवरी 2015

1947 में, लाहोर शहर में लकरीबन 43% सिखों और हिंदुओं थे। पाकिस्तान के अन्य प्रमुख शहरों में भी हिंदू और सिखों के बड़े आकार का अनुपात था। विभाजन के दौरान पंजाब का 60% भाग पाकिस्तान के पास गया और मात्र 40 % भारत के पास रह गया। अब पाकिस्तान में सिखों की आबादी सिर्फ 20,000 के आसपास होने का अनुमान है। लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की सही संख्या की जानकारी विश्वसनीय जनगणना के आंकड़ों की कमी के कारण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, 1947 में सिख और हिंदु लगभग 25% -30% के आसपास होने का अनुमान था, जो की अब मात्र 2% -3% है कुल जनसंख्या की। आखिर हिंदुओं और सिखों की इतनी बड़ी संख्या गई कहां। क्या हुआ इनका।

पाकिस्तान में हिन्दू और सिख समुदाय के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। वे हमेशा डर और आतंक के साये में जीते हैं। अन्य समुदायों के अल्पसंख्यकों की भी यही दशा है। इसका खुलासा खुद पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने किया है। कुछ वर्ष पहले अपनी रिपोर्ट में आयोग ने खासतौर पर वर्ष 2010 को अल्पसंख्यकों के लिए बेहद खराब बताया।

क्या हो रहा है हिन्दु और सिखों के साथ पाकिस्तान में ?

पिछले साल पाकिस्तान के कराची शहर के प्रेस क्लब में पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय ने एक सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार में चर्चा का विषय था-”पाकिस्तान में हिन्दू मुद्दे और समाधान.” इस गोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने पाकिस्तान में हिंदुओं की बहन बेटियों का हो रहा जबरन धर्म परिवर्तन मिडिया के माध्यम से सारी दुनिया के सामने उजागर किया। इस गोष्ठी में आये एक पाकिस्तानी हिन्दू राजकुमार ने अपना गुस्सा और दुःख बयान करते हुए बताया कि वर्ष 2012 में उसकी भतीजी रिंकल कुमारी का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उसका विवाह एक मुसलमान से करा दिया गया.पुलिस और कोर्ट दोनों ने उनका साथ नहीं दिया और इस जबरन धर्म परिवर्तन कर किये गये नाजायज विवाह को जायज करार देकर हिंदुओं के मुंह पर नाइंसाफी का तमांचा मार दिया। यह सिर्फ एक रिंकल की कहानी नहीं ऐसी कई रिंकल है जिनका या तो धर्म परिवर्न किया जा रहा है या उनका अपहरण किया जा रहा है या उनके साथ बलात्कार किया जा रहा है।

पाकिस्तान में हो रहे हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन पर नवभारत टाइम्स में छपा एक समाचार पर एक रिपोर्ट

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि देश में नाबालिग हिन्दू लड़कियों का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय बहुत चिंतित है।मानवाधिकार आयोग की वर्ष 2010 की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत से मामलों में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनके साथ बलात्कार किया जाता है और बाद में उन्हें धर्म परिवर्तन पर मजबूर किया जाता है.सिंध प्रान्त विशेष कर देश की व्यापारिक राजधानी कराची में जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं हो रही हैं। पाकिस्तान की सीनेट की अल्पसंख्यक मामलों की स्थाई समिति ने अक्टूबर 2010 में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस उपाए करने का आग्रह किया था।आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं केवल सिंध तक सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों में भी ऐसा हो रहा है.अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण होता है,उनके साथ बलात्कार किया जाता है और बाद में यह दलील दी जाती है कि लड़की ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है.उसकी मुस्लिम व्यक्ति से शादी हो गई है और वह अपने पुराने धर्म में लौटना नहीं चाहती.बहुत से लोगों का मानना है कि यह काम एक साजिश के तहत किया जा रहा है ताकि बचे-खुचे हिंदुओं को पाकिस्तान से बाहर खदेड़ा जा सके.

सिंध प्रांत में नवाब शाह नामक जगह के 46 वर्षीय सनाओ मेघवार कहते हैं, ”हम चिंतित हैं. हमने अपने बच्चों को भारत या किसी अन्य देश में भेजना शुरू कर दिया है. हम भी जल्द ही यहां से जाने की तैयारी कर रहे हैं.” उनके लिए चिंतित होने का कारण भी है. स्थानीय एजेंसियों की ओर से किए गए शोध के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने औसतन 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है.

हिंदुओं को सिर्फ अलग मतदाता के तौर पर मतदान की इजाजत है और उन्हें अपनी शादियां पंजीकृत कराने का अधिकार नहीं है.पाकिस्तान में यदि किसी हिन्दू का किसी मुसलमान से झगड़ा या विवाद होता है तो वहाँ की पुलिस और कोर्ट मुस्लिमों का ही साथ देती है और हिंदुओं को तरह तरह से प्रताड़ित करती हैं.कई आतंकी संगठनो द्वारा हिंदुओं को डरा धमकाकर उनसे अवैध रूप से धन वसूली की जाती है.हिन्दू किसी होटल में जाने से बचते हैं क्योंकि उनके साथ होटलों में अक्सर बदसलूकी की जाती है.पाकिस्तान में शिक्षा प्राप्ति से लेकर नौकरी पाने तक में हर जगह हिंदुओं के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें घृणा की नज़र से देखा जाता है. उनकी तकलीफों का यहीं अंत नहीं है. 19 जुलाई, 2010 को रावलपिंडी के श्मशान घाट को, जहां हिंदू और सिख अपने सगे-संबंधियों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करते थे, खत्म कर दिया गया.वहाँ के स्थानीय निवासी जगमोहन कुमार अरोड़ा सवाल करते हैं,”अगर मस्जिदों को तोड़ कर वहां घर बना दिए जाएं तो मुसलमानों को कैसा लगेगा?” वहां के हिंदुओं को अंतिम संस्कार करने के लिए मृतक देह को लेकर 86 किलोमीटर का सफर तय करके जिला ननकाना साहिब जाना पड़ता है.”

पाकिस्तान में हिन्दू सांसदों और विधायकों कि क्या स्थिति है,ये भी जान लीजिये-” पाकिस्तान में पिछले साल सिंध प्रांत की विधानसभा से 67 वर्षीय विधायक रामसिंह सोढा के इस्तीफे और कच्छ से उनके परिवार के पलायन ने पाकिस्तान और भारत दोनों देशों में हलचल मचा दी थी. उनके इस फैसले को पाकिस्तान में कट्टर मुसलमानों के हाथों हिंदुओं पर बढ़ते जुल्म के संकेत के तौर पर देखा गया।

पाकिस्तान के मंदिरों की बात करें तो वहां पर लगभग 428 मंदिर है,जिसमे से सिर्फ 26 में ही पूजा-पाठ होता है.पाकिस्तान के पांच प्रसिद्द हिन्दू मंदिर निम्लिखित हैं-
1.कटासराज मंदिर, चकवाल, पाकिस्तानी पंजाब में स्थित है.
2.हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान में है.
3.गोरी मंदिर, थारपारकर, सिंध मैं है.
4.मरी सिन्धु मंदिर परिसर, पंजाब में है.
5.शारदा मंदिर, पाक अधिकृत कश्मीर में है.
पाकिस्तान के हिन्दू मंदिरो पर वहाँ के मुस्लिम कट्टरपंथी बराबर हमले करते रहते हैं.वहाँ के अधिकतर मंदिरों में मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से न तो पूजापाठ होती है और न ही उनका सही ढंग से रख रखाव हो पा रहा है,जिसके कारण अधिकतर मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए हैं.ये मंदिर कभी भी इबादत के बुतखाने और इस्लाम के खिलाफ बताकर नेस्तनाबूत किये जा सकते हैं.

कुछ वर्ष पहले“पाकिस्तान के नॉर्थ-वेस्ट रीजन पेशावर में 160 साल पुराने मंदिर में कुछ लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावर मूर्तियों को ले उड़े और मंदिर में तोड़-फोड़ मचा दी। धार्मिक किताबों को जला दिया और तस्वीरों को फाड़ दिया। इस ऐतिहासिक मंदिर को अदालत के आदेश पर पिछले साल ही खोला गया था.हिन्दू समुदाय के नेताओं ने बताया कि हमलावरों ने गोरखमठ मंदिर के भीतर की तस्वीरें जला दीं और उसमें रखीं मूर्तियां उठा ले गए.यह मंदिर गोर गाथरी इलाके के पुरातत्व परिसर में स्थित है.मंदिर के संरक्षकों ने बताया कि पिछले दो महीने में यह तीसरा हमला है.

आज के समय में धर्म का स्वरुप असहिष्णु,हिंसक और विकृत होता चला जा रहा है.ये बहुत चिंता की बात है.पहले धर्म की यात्रा दिल से शुरू होती थी और लोककल्याण करते हुए भगवान के पास तक जाती थी.अब तो धर्म की यात्रा दिमाग से शुरू होती है और हिंसा व धार्मिक उन्माद पर जाकर समाप्त हो जाती है.अब धर्म से सहिष्णुता गायब हो चुकी है,उसकी जगह ” एकोहम द्वितीयो नास्ति ” जैसी घातक और संकीर्ण प्रवृति जन्म ले चुकी है.मुस्लिम कट्टरपंथी एक ही स्वप्न देखते हैं कि सारी दुनिया में सिर्फ उन्ही के धर्म का राज हो.अपने इस झूठे स्वप्न को पूरा करने के लिए वो हर तरह की हिंसा तथा बाल यौन-शोषण से लेकर हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन तक का गलत रास्ता अख्तियार किये हुए हैं,जो इस्लाम के नियमों के भी सरासर खिलाफ हैं.ये सब गलत काम करके वो इस्लाम धर्म का प्रचार नहीं कर रहे हैं,बल्कि इस्लाम धर्म को नुकसान ही पहुंचा रहे हैं.अगर वास्तव में उन्हें इस्लाम धर्म और खुदा से मोहब्बत हैं तो उन्हें ऐसा गलत काम करने से बचना चाहिए। भारत सरकार और मानवाधिकार संस्थाओं को इस विषय परिस्थिति का तुरन्त से ज्ञान लेना चाहिए। HRDI के तहत इस विषय पर काफी काम हो रहें है और हिन्दुओं के मानवधिकार के लिए उनके साथ कन्धें से कन्धा मिलाकर खड़े है।