Notice: Function add_theme_support( 'html5' ) was called incorrectly. You need to pass an array of types. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 3.6.1.) in /home/smwxex545a0i/public_html/gopalkrishnaagarwal/wp-includes/functions.php on line 6121
November 2019 – Gopal Krishna Agarwal

सबरीमाला मंदिर विवाद – धर्म या राजनीति

भारतीय संविधान के अनुसार हिन्दु मंदिरो में स्थापित मूर्तियों को जुडिशियरी परसन का दर्जा दिया गया है। प्राण प्रतिष्ठित मंदिरों में मुर्तियो को जमीन आदि का मालिकाना हक भी प्राप्त है। उनके अपने अधिकार एवं नियम है। जो हिन्दु धर्म में आस्था रखते है उन्हे उन नियम कानूनो को मानना चाहिए, अगर हिन्दु धर्म में आस्था नहीं है तो मंदिर में जा कर क्या दर्शाना चाहते है। इस तरह के आंदेलन कर हिन्दु मान्यताऔं, संस्कृति और परम्पराओं को ठेस पहुचाने का उदेश्य ही नजर आता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि धर्म के आधार पर व्यक्तिगत आस्था की स्वतन्त्रता केवल वहीं तक सीमित रहती है जब वह अन्य किसी के अधिकार क्षेत्र में बाधक ना हो। सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के विशेष नियम अन्य किसी के कार्यो में कोई रुकावट नही डालते है। इसलिए सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के विषय को पारसी महिलाओं के विवाहेतर अधिकार और बहावी मुसलमानो में Female Genital mutilation जैसी प्रथाओं से तुलना नहीं की जा सकती। क्योकि उन विषयों में जोर जबरदस्ती का मामला आता है।

भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां पुरुषों का प्रवेश नहीं है, गुरुद्वारा में सर पर कपड़ा बांध कर जाया जाता है। सभी धर्मो में कई ऐसी मान्यताए है जिनका हटाना अच्छा नहीं होगा क्योकि उनके पिछे धार्मिक  मान्यताएं है और इनको छेड़ने से सिर्फ अशांति फैलती है। सबरीमाला मंदिर ऐसी ही पौराणिक मान्यताओं को दर्शाता है जिससे छेड़ छाड़ नहीं होना चाहिए। ऐसे कई लोग सामने आए है जिनका धर्म में तो विश्वास नहीं है और फिर भी इस मंदिर में प्रवेश करने की जिद कर रहे है। ठीक है आपका धर्म में विश्वास नहीं है लेकिन दूसरो के विश्वास को ठेस पहुचाने का अधिकार भी आपको नहीं है। हिन्दु धर्म में सभी देवी देवताओं को उनके मूल रुप में ही पूजा जाता है जैसे मथुरा में भगवान कृष्ण की पूजा बाल गोपाल के रुप में होती है क्योकि वे उसी रुप में वहां स्थापित हुए है। ठीक उसी प्रकार भगवान अयप्पा बाल ब्रह्मचारी थे इसीलिए उनकी पूजा पुरुषो द्वारा की जाती है। इन सभी बातों को लोगों को समझना एवं मानना होगा।

कहा जाता है कि मक्का मदिना के बाद सबरीमाला मंदिर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ है। तो क्या इसकी परम्पराओं को मानने वाले जनमानस को ठेस पहुचाना सही है। सूप्रीम कोर्ट ने 7 सदस्यो वाली  संविधानिक बैंच को केस रेफर करके ठीक हि किया है। कोर्ट इन सभी विषयो को ध्यान में रखकर ही अपना फैसला देगी ऐसी हम आशा करते है।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा