Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the limit-login-attempts-reloaded domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/smwxex545a0i/public_html/gopalkrishnaagarwal/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the feeds-for-youtube domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/smwxex545a0i/public_html/gopalkrishnaagarwal/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the instagram-feed domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/smwxex545a0i/public_html/gopalkrishnaagarwal/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function add_theme_support( 'html5' ) was called incorrectly. You need to pass an array of types. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 3.6.1.) in /home/smwxex545a0i/public_html/gopalkrishnaagarwal/wp-includes/functions.php on line 6121
May 2025 – Page 4 – Gopal Krishna Agarwal

कोरोना वायरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं निदान

कोरोना वायरस से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को एक ज़बरदस्त झटका लगा है। वैश्विक स्तर पर यूरोप, चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सभी देशों की अर्थव्यवस्था आधारित है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो गई है। और आने वाले दौर में तीसरे पायदान पर पहुँचने का लक्ष्य रख कर बढ़ रही है।

कोरोना कि आपदा ने पहले चीन को झटका दिया। पर चूंकि वहां प्रजातंत्र नहीं है और सरकार का जबरदस्त डंडा चलता है तो उसने डंडे के जोर पर इस महामारी को रोक लिया । जैसी जानकारी मिल रही है वहाँ आर्थिक गतिविधि पुनः चालू हो रही है जिसके कारण बड़ी आशंका पूरे विश्व में फैल रही है कि सही समय पर इस त्रासदी की सूचना विश्व स्तर पर चीन से नहीं मिली।

यूरोप खासकर इटली और स्पेन में महामारी फैल गई है और वहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है और ये देश अपने आप को विवश महसूस कर रहे हैं। यूरोप और अमेरिका की स्वास्थय सेवाएं बहुत अच्छी मानी जाती है। अमेरिका में अभी देखना पड़ेगा कि वह कैसे और कितना इससे जूझने में सफल होता है। भारत में यह महामारी अपना पाँव पसार रही है और आगे कितना हम इसको संभालने में सफल होते हैं यह आने वाला समय बताएगा।

अगले 20 दिन महत्वपूर्ण है कि हम महामारी को जन भागीदारी और प्रबल इच्छा शक्ति से कितना रोक लेते हैं, नहीं तो भारत की अर्थव्यवस्था को भी यह हिलाकर रख देगा। भारत की अर्थव्यवस्था में कई चुनौतियां पहले से मौजूद थी। वैश्विक स्तर पर पहले से ही चीन और अमेरिका का औद्योगिक संघर्ष चल रहा था। वैश्वीकरण के दौर के विपरीत सभी देश अपने आंतरिक आर्थिक विकास पर ज़्यादा ध्यान दे रहे थे। भारत ने उस चुनौती को ध्यान में रखकर RCEP से अपने को अलग किया, फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) आसीयान देशों के साथ समझौतों पर पुनः विचार की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी थी। और बजट 2020 में कस्टम ड्यूटी एवं इंर्पोट टियूटी कई सामानों पर बढ़ा दी थी। जिससे हमारे छोटे और मझौली व्यापारियों को बडी राहत मिली है।

भारत सरकार जिस तरह से अब सोच रही है उस पर जल्द ही और आगे बढ़ेगी तो हमारे मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों को बड़ा सहारा मिलेगा। पेट्रोलियम पदार्थो के दाम भी विश्व में काफी गिर गए हैं इससे भारत को बडी राजकोशीय राहत मिल रही है। अभी आवश्यकता है कि जो हमारे दिहाड़ी मज़दूर हैं, रेहड़ी लगाने वाले लोग हैं और अनऑर्गेनाइज सैक्टर के कर्मचारी है इनको आने वाले एक / दो महीने में सीधे धन की उपलब्धता को पूरा करने की। यह आवश्यक है कि उन्हें उनका वेतन मिलता रहे और उनके दैनिक कमाई की चरमराई व्यवस्था जब तक पुनः चालू नहीं होती तब तक उनके खाते में पैसे पहुँचते रहे। सरकार ने सभी कर्मचारियों को वेतन दिलवाने का निर्णय कर दिया है।

कॉर्पोरेट और व्यापार जगत के लोगों को भी इन दो तीन महीने की उथल-पुथल में सहयोग की आवश्यक्ता है जिसको ध्यान में रखके वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि हम एक राहत पैकेज लेकर आ सकते हैं जिसका ऐलान जल्द होगा।

वित्तमंत्री ने अपने मीडिया ब्रीफिंग में कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी जिससे हमारे आर्थिक जगत को तुरंत राहत मिलेगी। उन्होने घोषणा की कि हम statutory and regulatory compliance से जुड़ी एक विस्तृत योजना लेकर आए है ताकि कंपनियों को इंकम टैक्स या IBC कोड से जुड़े नियमों को पालन करने में कोई दिक्कत ना हो। फाइनेंशियल ईयर 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 30 जून होगी। देर से रिटर्न फाइल करने पर लगने वाला ब्याज भी घटा दिया गया है। पहले इस पर 12 फीसदी ब्याज देना पड़ता था जिसे घटाकर अब 9 फीसदी कर दिया गया है।

आधार से पैन कार्ड लिंक करने की आखिरी तारीख, विवाद से विश्वास (Vivaad se Vishwas) स्कीम की अंतिम तिथि , GST रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख, सबका विश्वास (Sabka Vishwas) स्कीम की डेडलाइन और कस्टम्स क्लीयरेंस से जुड़े मामलों का निपटान सभी की तारीख 30 जून 2020 कर दी गई है।

 कोरोना वायरस से जुड़े कार्यों में अब CSR का फंड दिया जा सकता है। इसकी भी धोषणा वित्तमंत्री ने की थी। कंपनियों की बोर्ड मीटिंग को अगली दो तिमाहियों तक 60 दिनों की और मोहलत दी गई है। Applicability of The Companies Auditors’ Report Order 2020 जो पहले फिस्कल ईयर 2019-20 में आने वाली थी अब इसे फिस्कल ईयर 2020-21 के लिए टाल दिया गया है। किसी कंपनी के डायरेक्टर को देश में कम से कम 182 दिन रहना पड़ता था लेकिन अब वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उसे नियमों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

ऐसी अनेक घोषणाएं वित्त मंत्री के द्वारा कि गई उससे व्यापार जगत को राहत मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने अपने कल के संदेश में 21 दिन के कर्फ्यू की घोषणा की है, और सभी प्रकार की ज़रूरी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया है। इसलिए आवश्यक है कि इन 21 दिनों की विकट परिस्थिति में हम अपना धैर्य नहीं खोएं। इस समस्या के निदान के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और सामुहिक प्रयास की बहुत आवश्यकता है । हमें विश्वास है कि इस समस्या के निदान के साथ हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होकर उभरेगी।

 गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

राष्ट्रीय प्रवक्ता, आर्थिक प्रकोष्ठ, भाजपा

मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल ई-रुपी से जनता को सीधा लाभ

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ई-रुपी वाउचर लॉन्च किया। यह मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। इस प्रणाली को लागू करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह लक्षित, पारदर्शी और रिसाव मुक्त वितरण में मदद करेगा। ई-रुपी इस बात का प्रतीक है कि लोगों के जीवन को प्रौद्योगिकी से जोड़कर भारत कैसे प्रगति कर रहा है।’

 2014 में जब श्री नरेन्द्र मोदी शासन में आए तो सरकारी वितरण तंत्र में बड़े पैमाने पर रिसाव हुआ करता था। सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाएं लाभार्थियों तक कुशलतापूर्वक नहीं पहुंच रही थीं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य, मोदीजी के लिए सामाजिक कल्याण लाभ के लिए वितरण तंत्र को सुव्यवस्थित करना था, जिसमें भ्रष्टाचार और अन्य रिसावों के लिए स्थान नहीं रहे। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की उन्होंने ऐतिहासिक पहल की थी। जन-धन खाते खोलना, इसे आधार कार्ड से जोड़ना और ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के लिए डिजिटल तकनीकों के उपयोग के द्वारा वित्तीय समावेशन को लागू किया गया, जिसे ‘जैम ट्रिनिटी’ कहा जाता है। इसे विश्व बैंक द्वारा दुनिया भर में सबसे प्रभावी वित्तीय समावेशन कार्यक्रमों में से एक के रूप में सराहा गया है। ऑनलाइन भुगतान तकनीक जैसे भीम और #99 ऐप आदि के लिए अधिक से अधिक एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) विकसित किए गए और उनके माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में धनराशि स्थानांतरित की गई।

आम आदमी के जीवन में क्रांति लाने के लिए वित्तीय तकनीकों का उपयोग करना प्रधानमंत्री की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। प्रधानमंत्री फिनटेक समाधानों के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डेटा मैनेजमेंट का उपयोग करके नवाचार लागू करने के लिए स्टार्ट-अप्स को निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं

आम आदमी के जीवन में क्रांति लाने के लिए वित्तीय तकनीकों का उपयोग करना प्रधानमंत्री की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। प्रधानमंत्री फिनटेक समाधानों के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डेटा मैनेजमेंट का उपयोग करके नवाचार लागू करने के लिए स्टार्ट-अप्स को निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं। टैक्स रियायतों के माध्यम से स्टार्ट-अप परिस्थितिकी तंत्र बनाना और फिर उसके लिए निवेश योग्य धन उपलब्ध कराने के साथ, सरकार का एक स्पष्ट रोडमैप है। अटल टिंकरिंग लैब और अटल इनोवेशन मिशन के माध्यम से अकादमिक और उद्योगों को जोड़ने के लिए भी योजनाएं बनायी गयी हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नवाचार प्रोत्साहन के लिए हैकाथॉन का आयोजन और फिर उसके उत्पादन के लिए पूर्ण सहयोग करना और समूची पेटेंट व्यवस्था को सुदृढ़ करना सरकार की नई पहल है। फिनटेक नवाचारों और समाधानों ने भारत में वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में अत्यधिक क्रांति ला दी है। वर्ष 2021 में 32 यूनिकॉर्न (एक बिलियन डॉलर मूल्य की स्टार्ट-अप कंपनी) में से नौ वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां हैं।

इस डिजिटल परिवर्तन ने अमीर और गरीब, शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच तकनीकी दूरी को कम करने में मदद की है। पंचायत स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का एकीकृत तंत्र बनाया गया जा रहा है। डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म के तहत भी कंप्यूटर सेवा केंद्र (सीएससी) स्थापित कर, लोगों के जीवन को सुगमता प्रदान की जा रही है। तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मोदी सरकार ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ के अपने वादे को पूरा कर रही है। प्रौद्योगिकी समाधानों ने सरकारी निर्णय और उसके कार्यान्वयन में मानवीय हस्तक्षेप और व्यक्तिपरकता को काफी हद तक कम कर दिया, जिससे सभी को अपने दैनिक जीवन-यापन में सुविधा मिली है। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए ऑनलाइन समाधान मानवीय हस्तक्षेप को कम करता है और इसमें भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी कम होती हैं।

 डिजिटल इंडिया पहल जैसे जीएसटी का कार्यान्वयन, वर्चुअल ई-मूल्यांकन, सरकारी ई-मार्केट (जीईएम) प्लेटफॉर्म, डिजिटल लॉकर, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), ऑनलाइन भुगतान, भीम ऐप और #99, ई-मंडियां, 59 मिनट में पीएसबी लोन, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम, आरोग्य सेतु और कोविन ऐप, टोल प्लाजा पर फास्ट टैग सुविधा और अब ई-रुपी वाउचर ने आम लोगों के जीवन को बदल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी, सरकारी योजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सफल रहे हैं, चाहे वह लक्षित व्यक्तियों तक सामाजिक लाभ पहुंचाना हो, या व्यवसाय करने में आसानी (ईओडीबी) या फिर लाभ वितरण और शासन के लिए भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र का निर्माण करना हो। अकेले जुलाई महीने में, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने रिकॉर्ड 324 करोड़ लेनदेन संसाधित किए है। अगर राशि की बात करे तो इस प्लेटफॉर्म से 6.06 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन को संसाधित किया जा चुका है।

 हमारी सरकार 300 सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लक्षित लाभार्थियों को 17.5 लाख करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित करने में सफल रही है और इस राशि को गलत हाथों में जाने से रोककर 1.75 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में भी सफल रही है। इस साल सरकार ने न्यूनतम मूल्य पर खाद्यान्न खरीद कर किसानों के खाते में 86 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत भी बड़ी राशि सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर की है। ई-रुपी वाउचर की यह नई पहल लक्षित व्यक्ति तक फंड ट्रांसफर करने के लिए एक अभिनव साधन बनकर उभरेगी। जब सरकार ई-रुपी वाउचर जारी करती है, तो वह सुनिश्चित करती है कि फंड का उपयोग केवल निश्चित उद्देश्य के लिए ही किया जा सकता है। यह व्यक्ति-विशिष्ट भुगतान प्रणाली प्री-पेड उपहार-वाउचर के रूप में कार्य करती है, निर्धारित सेवा केंद्रों पर भुनाया जा सकता है।

योजना सेवाओं के प्रायोजकों, लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर साथ ले आयेगी। एक बार जब यह वाउचर किसी निजी संगठनों या व्यक्ति द्वारा जारी किया जाएगा, तो उसे इस बात का भरोसा होगा कि इस निधि का उपयोग उनके निर्देशानुसार ही होगा। इसका उपयोग कॉरपोरेट्स द्वारा (सीएसआर) गतिविधियों के लिए, धर्मार्थ संस्थानों द्वारा दान और थर्ड पार्टी भुगतान के लिए भी किया जा सकता है।

सरकार ‘पुश मॉडल’ पर काम कर रही है, जहां योजनाओं की घोषणा की जाती है, लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है, न कि पुल मॉडल पर जहां नागरिकों को लाभ लेने के लिए सरकारी विभागों के पीछे भागना पड़ता है। 115 आकांक्षी जिलों की पहचान करना और उनके अन्तर्गत जिला प्रशासन द्वारा यह सुनिश्चित करना की लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हो, यह एकीकृत समाधान इसका एक उदाहरण है। श्री नरेन्द्र मोदी का यह प्रयास रहा है कि किसी भी समस्या की पहचान की जाए, इसके समाधान के लिए एक तकनीकी तंत्र तैयार किया जाए, सभी हितधारकों को उससे जोड़ा जाए और इस तंत्र के कुशल कार्यान्वयन और मूल्यांकन के लिए परफॉर्मेंस मैट्रिक्स स्थापित किया जाए ताकी जवाबदेही सुनिश्चित हो।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)