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Blogspot – Page 10 – Gopal Krishna Agarwal

वैश्विक आर्थिक विकास का इंजन बन रहा भारत

अभी हाल में मोदी जी की सफल अमेरिका एवं इजिप्ट की दो देशीय यात्रा सपन्न हुई। जिस तरह का सम्मान प्रधानमंत्री जी को मिला यह हमारे देशवासियों के लिए बहुत गर्व का विषय है एलन मस्क सुंदर पिचाई ने कहा कि मोदी जी का डिजिटल इंडिया विजन अपने समय से बहुत आगे का है। रे डेलिओ ने भारत में निवेश का आश्वासन दिया है।

नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने नई ऊँचाइयों को छुआ है। आज भारत देश वैश्विक आर्थिक विकास का इंजन बन गया है। यह पूरे देश के लिए बेहद ही हर्ष का विषय है कि भारतीय सकल घरेलू उत्पाद ५ ट्रिलियन अमरीकी डालर की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है। मोदी जी के नेतृत्व में न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर कर रही है. बल्कि यह लगातार दो वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन चुकी है और आने वाले वर्ष में भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आए इस सकारात्मक परिवर्तन ने देश में भी ऊर्जा का संचार किया है।

अर्थव्यवस्था पर झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने वाले और कयामत की भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री और कुछ राजनेता लगातार जनता की नजरो में गिर रहे हैं। मोदी सरकार के प्रयत्नों का फल सामने आना ही था। २०१४ में सत्ता में आने के वक्त हमारी अर्थव्यवस्था द्विन बेलेंस शीट की समस्या का सामना कर रही थी. बैंक बेहद कमजोर थे और कॉर्पोरेट क्षेत्र अत्यधिक कर्जदार था और कर्ज चुकाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था। मोदी सरकार की कई सुधारक पहलों के कारण बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्र मजबूत हुआ है। बैंकिंग क्षेत्र में सुधार जैसे एनपीए का समाधान, आईबीसी, नई पूंजी निवेश इसके प्रमुख स्तंभ में हैं। मोदी सरकार के दूर दृष्टिकोण से सक्षम मैक्रोइकॉनॉमिक प्रबंधन पर लगातार जोर देती रही है। आज मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर हैं और राजकोषीय घटा नियंत्रित और अनुमानित पथ पर है। सफल आर्थिक प्रबंधन का प्रमाण यह है कि भारत आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है जबकि हमारे पड़ोसी देश जैसे श्रीलंका कर्ज चुकाने में असफल हैं. बांग्लादेश आईएमएफ से मदद मांग रहा है और पाकिस्तान बर्बादी के कगार पर है।

सरकार वित्तीय संस्थानों, विशेषकर आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ टीम भावना से काम कर रही है। किसी संस्था की स्वतंत्रता की परीक्षा सरकार के साथ विरोधात्मक संबंध नहीं है बल्कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मिलकर काम करना है। आरबीआई और अन्य मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों और राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज (PLI) एवं आत्मनिर्भर भारत पैकेज जैसे दूरगामी परिणाम वाले कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड के बाद उबरने और महंगाई. मंदी और राजकोषीय घाटे का प्रबंधन करने में मदद की है। मोदी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक और नीतिगत सुधारों के कारण जैसे जीएसटी. ई मूल्यांकन, डीबीटी, वित्तीय समावेशन, आईबीसी, पीएलआई. फिनटेक, यूपीआई डिजिटल इंडिया. ऑडिट ट्रेल की महत्वपूर्ण पहल सामने आई हैं।

मोदी सरकार के प्रयासों का ही यह परिणाम है कि आज सम्पूर्ण विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था के दर्द है। वर्तमान में भारत में मुद्रास्फीति की बात करें तो २०१४ में यह दोहरे अंक से अब ५% से कम पर आ गया है। खुदरा मुद्रास्फीति दर ४. २३% पर एवं खाद्य मुद्रास्फीति दर मात्र २.९१% पर हैं। यह एक दिन का प्रयास नहीं है। मोदी सरकार पिछले नौ वर्षों से इस पर काम कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आकड़ो के अनुसार भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर ७.२% है और Q4 सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ६.१% YOY है। PMI सूचकांक की यदि बात की जाए तो मई महीने २०२३ के दौरान भारतीय विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई ५८ ७ पर पहुंच गया। यह अक्टूबर २०२० के बाद विनिर्माण क्षेत्र की सबसे जबरदस्त तेजी है। यह बताता है कि २०२३ के मई महीने के दौरान भारत में कारखानों का आउटपुट करीब ढाई साल में सबसे बेहतर रहा है। ऐसे ही PMI सर्विस सेक्टर के डाटा में बताया गया कि अप्रैल में पीएमआई ६२.० पर पहुंच गया है जो कि मार्च में ५७.८ था। २०१० के बाद पिछले १३ सालों में अब तक दर्ज की गई ये सबसे अधिक बढ़ोतरी है। यह लगातार २१वां महीना है. जब सर्विस सेक्टर के डाटा में उछाल देखने को मिला है। जो निरंतर हो रहे औद्योगिक विकास को दर्शाता है।

आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार औसत जीएसटी दर अब ११.६% के कम स्तर पर होने के वजूद अप्रैल महीने में जीएसटी संग्रह १.८७ लाख करोड़ रुपये रहा। इसका सीधा अर्थ है कि आर्थिक विकास का हमारा लक्ष्य सार्थक हुआ है। मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कमी और व्यक्तिगत कर में छूट की है उसके बावजूद वर्ष २०२२-२३ में प्रत्यक्ष कर में १६६८ लाख करोड़ रुपये का हुआ जो पिछले वर्ष के अनुपात में १७.६३% अधिक है। इसका ही प्रतिफल है कि आर्थिक मंदी से देश सुरक्षित रहा है। करों में छूट देने से देशवासियों का भार कम हुआ है और करदाता और सरकार की जिम्मेदारी से करो के संग्रह में वृद्धि हुई।

इन्फा डेवलपमेंट खर्च में ३३% की भारी-भरकम वृद्धि हुई है। यह कुल जीडीपी का ३३ प्रतिशत है। सरकार ने लगातार तीसरे साल इस क्षेत्र में पूंजीगत निवेश में बड़ी बढ़ोतरी की है। इस क्षेत्र को मोदी सरकार कितना अधिक महत्व दे रही है. इसका प्रमाण यह है कि २०१९-२० में किए गए कुल खर्च के मुकाबले पिछले दिनों माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने इसपर लगभग तीन गुना खर्च का वादा किया है। इन्फ्रा पर यह खर्च सरकार के इस दृष्टिकोण का प्रमाण है कि मोदी सरकार निरंतर मंदी जैसी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है और भविष्य में बड़े पैमाने पर इससे रोजगार सृजन भी होंगे ही।

आंकड़ों पर यदि हम ध्यान दें तो यह पूरी तरह से मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर इशारा कर रहे हैं। वर्ष २१-२२ में एफडीआई ८४.८ बिलियन अमेरिकी डालर रहा है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में एफडीआई के मामले में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है और यहां यह सिर्फ अमेरिका से पीछे है। अमेरिका की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में ३३.८ बिलियन डॉलर एफडीआई के मुकाबले भारत को २६.२ बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला है। वहीं चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में एफडीआई गिरकर महज ०.५  बिलियन डॉलर रह गया है।

२०२२-२३ के दौरान देश का निर्यात लगभग ६ प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड ४४७ बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। देश का आयात भी २०२२-२३ में १६.५ प्रतिशत बढ़कर ७१४ बिलियन अमेरिकी डालर हो गया है। मोदी सरकार ने अपना प्रतिद्वंद्वी स्वयं को ही माना है। पिछले २ साल में स्टार्टअप्स की संख्या में भारी वृद्धि देश में देखी गई है। बहुत कम वर्षों में ही भारत, अमेरिका और चीन के बाद ११५ यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। आज विश्व में सर्वाधिक डिजिटल भुगतान की बात करें तो भारत का एकतरफा डंका इस क्षेत्र में बज रहा है। सरकारी वेबसाइट के अनुसार २०२२ के कुल डिजिटल लेनदेन का ४६ फीसदी हिस्सा रियल टाइम पेमेंट से हो रहा है। यह भी वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। रियल टाइम पेमेंट में यूपीआई की मदद से भारत में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि इनोवेटिव समाधानों को बड़े स्तर पर अपनाने से यह बदलाव आया है और देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

कोविड के कारण जब लॉकडाउन लगा और स्मार्टफोन की पैठ भारत में बहुत बढ़ी तो देश में डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भी उछाल आया। आरबीआई ने २०२२ में ई-रुपया का पायलट प्रोजेक्ट भी लॉन्च किया था। २०२२ में ८९.५ मिलियन डिजिटल लेनदेन के साथ भारत पांच देशों की सूची में शीर्ष पर है। भारत के बाद ब्राजील में २९.२ मिलियन, चीन में १७.६ मिलियन, थाईलैंड में १६.५ मिलियन और दक्षिण कोरिया में ८ मिलियन डिजिटल लेनदेने हुआ है। अगर बाकी के चारों देशों के आंकड़ों को मिला भी दिया जाए, तो भी भारत इनसे आगे है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी कह चुके हैं कि भारत के डिजिटल भुगतान से देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्थ भी बदल रही है। भारत उन देशो मे है. जहा मोबाइल डाटा सबसे सस्ता है और इसका सकारात्मक प्रभाव भी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। पिछले वर्ष १५.४६८ लाख करोड़ रुपये मूल्य का डिजिटल लेनदेन हो चुका है। पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष २०२६-२७ तक प्रतिदिन एक अरब यूपीआई लेन-देन होगे और कुल डिजिटल भुगतान में इसका हिस्सा बढ़कर ९० फीसदी हो जाएगा। वर्तमान में यह सालाना ५० फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

पिछले पांच वर्षों में भारत में ६७ प्रतिशत से अधिक फिनटेक कंपनियों की स्थापना की गई है। भारत के फिनटेक विभाग मे फंडिंग में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. २०२१ में निवेश के विभिन्न चरणों में ८ बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश प्राप्त हुए। इसने भारत में फिनटेक बाजार विकास क्षमता ओ बेहतर बनाया है। २०२२ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत पहले से ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक बाजार है। वाणिज्य मंत्रालय के हवाले से मैं आपको यह बता दूँ कि भारत की फिनटेक अपनाने की दर ७% है. जबकि वैश्विक औसत ६४% है, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि जिस मोबाइल के बिना हमारे काम नही हो पाते भारत उन्हीं मोबाइल फोन का दुनिया का दूसरा शीर्ष निर्माता है। भारत मे अब तक २०० से अधिक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स सेट अप हो चुकी हैं। भारत में ३३० मिलियन से ज़्यादा मोबाइल हैडसेट्स बनाए जा चुके हैं। साल २०१४ से अगर इसकी तुलना की जाए तो उस वक्त देश ने ६० मिलियन स्मार्टफोन बनाए गए थे और सिर्फ दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत मे थे। वहीं २०१४ में भारत में बने मोबाइल फोन की वैल्यू भी मात्र ३ बिलियन डॉलर थी जो कि अब ३० बिलियन डॉलर से भी अधिक हो चुकी है।

एयर इंडिया का विनिवेश पूरा होने पर सरकार को विनिवेश में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई हैं जिससे अर्थव्यवस्था की नींव को और भी मजबूती प्राप्त हुई है। कई तथाकथित विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया था कि जीडीपी विकास दर आगे जाकर नीचे आएगी, लेकिन वे गलत ही साबित हुए हैं क्योंकि आंकड़े स्पष्ट बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है और इसमें काफी गति है।

२०२२-२३ की पहली छमाही में, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन का उत्पादन पूर्व महामारी के स्तर १०.८ प्रतिशत अधिक था। सरकार के क्रेडिट प्रोत्साहन पैकेज को कृषि क्षेत्र में वृद्धि का कारण कहा जा सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि से इस क्षेत्र को और बढ़ावा मिला है। खेती बाड़ी की विकास दर ४.५ फीसदी दर्ज की गई तो वहीं सेवा क्षेत्र ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसमें ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशन में सबसे ज्यादा २५.७% की वृद्धि दर्ज की गई

देश की तरक्की में ऑटोमोबाइल सेक्टर का भी बड़ा हाथ है। दरअसल बीते वर्ष ही भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया था। भारत में साल २०२२ में कुल ४२.५ लाख नई गाड़ियां बिकी हैं जबकि जापान में २०२२ के दौरान कुल ४२ लाख यूनिट्स गाड़ियों की बिक्री हुई। वैश्विक ऑटो बाजार में भारत ने जापान के दबदबे को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट होने का रुतबा भी हासिल किया है, यह हम सबके लिए गर्व की बात है।

भावास बाजार में भी बदलाव देखे गए हैं, आवास ऋण की मांग में तेजी आई है, और इसने असंख्य बैकवर्ड और फारन का प्रोत्साहित किया है। आवास के अलावा, निर्माण गतिविधि, सामान्य रूप से वित्त वर्ष २०२३ मे उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है क्योंकि केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के बढ़ाए गए पूजीगत बजट (केपेक्स) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। आने वाले समय में देश का उत्पादन पूजीगत व्यय के कारण से कम से कम चार गुना और बढ़ेगा। राज्य भी अपनी पूंजीगत व्यय योजनाओं के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहे है। राज्यों के पास पूंजीगत कार्यों के लिए केंद्र की अनुदान सहायता और ५० वर्षों में चुकाने वाला ब्याज मुक्त ऋण का एक बड़ा बजट है।

भविष्य निर्माण को लेकर बजट में एआई, अक्षय ऊर्जा, ब्लॉक चेन, ग्रीन हाइड्रोजन, कनेक्टिविटी. सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था (कला, संस्कृति, संगीत, नृत्य, भोजन, त्योहार, वास्तुकला, पर्यटन) इत्यादि को ध्यान में रखकर बजटीय प्रावधान किया गया है, जिसका दूरगामी परिणाम आ रहा हैं।

जब २०१४ में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा २.६ फीसदी पर था। आज इसे देखें तो ये बढ़कर ३.५ फीसदी पर आ चुका है। ये आंकड़ा देश का हौसला बढ़ाने का काम कर रहा है। पिछले दिनों निजी खपत में मजबूती भी देखी गई जिसमें उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।

सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज ने संपर्क आधारित सेवाओं के लिए लोगों को सक्षम किया है। श्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख उपलब्धि कोविड महामारी का प्रबंधन और उसके बाद आर्थिक सुधार पैकेज रही है। महामारी ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैश्विक व्यवधान पैदा किया है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका अभूतपूर्व बढ़ी हुई मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है, जो पिछले ४० वर्षों के इतिहास में नहीं देखी गई। यूरोप में एक के बाद एक देश मंदी की चपेट में हैं। चाहे वह इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस आदि हों और यहां तक कि चीन भी कोविड- १९ के दौरान लॉकडाउन से मिले सदमे से बाहर नहीं आ पाया है। जबकि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित कर रहा है। अमेरिका और यूरोप में एक के बाद एक बैंक विफल हो रहे हैं और दिवालियेपन की ओर बढ़ रहे हैं। वहां केंद्रीय बैंकों के पास स्थिति से निपटने के लिए कोई रोड मैप नहीं है। उनके पास संकट की निगरानी के लिए संस्थागत क्षमता की कमी है। जबकि हमारी सरकार और केंद्रीय संस्थाओं ने इन समस्याओं को बेहतरीन तरीके से निपटाया है। ददर्शी दृष्टि कोण और संकटों से निपटने के लिए संस्थागत प्रयासों के कारण, सभी तीन प्रमुख मैक्रो इकोनॉमिक पैरामीटर जैसे मुद्रास्फीति, मंदी और राजकोषीय घाटा भारत में नियंत्रण में हैं

मॉर्गन स्टैनले की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में भारत में आर्थिक विकास, सरकार की सही नीतियों के कारण और तेजी से बढ़ेगा। गूगल ए-कोनोमी रिपोर्ट भी इंटरनेट इकॉनमी को देश की जीडीपी में १२-१३% का योगदान करने का लक्ष्य दर्शाती है। जिसके लिए आधार UPI, डीजी लॉकर. ONDC, यूनिफार्म हेल्थ इंटरफ़ेस, इंडिया स्टेक, NPCI, रुपे कार्ड, ये सभी देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान करेंगे। अगले एक दशक में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत की अर्थव्यवस्था में लचीलापन है, क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ है। भारत का मकसद है कि अगले पांच वर्षों में दुलाई (Logistic) की लागत को १४% से घटाकर आठ फीसदी तक लाया जाए। इससे भी विकास में तेजी आने की उम्मीद है। इससे भारत के २०४७ तक विकसित देश बनने के सपने को निश्चित ही बल मिलेगा। एशियाई देशों में आर्थिक महाशक्ति वाला पहला देश चीन इस समय आर्थिक मोर्चेपर कठिनाइयों से जूझ रहा है। ऐसे में भारत की एशियाई देशों में वर्तमान में सबसे अच्छी स्थिति है। भारत में वैश्विक रुचि इसलिए बढ़ रही है कि आने वाले दशकों में भारत आर्थिक गतिविधि का प्रमुख केंद्र होगा। भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। यह सब इसलिए होगा क्योंकि हमारे पास श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में एक दृढ और दूरदर्शी नेतृत्व है।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा

जी-20 के सफलतापूर्वक आयोजन से दिखी भारत की नेतृत्व क्षमता

यदि मजबूत इरादे को लेकर नेतृत्व को लेकर नेतृत्व किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं

हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि जब भी और जहां भी उचित हो, श्रेय मिलना ही चाहिए। जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन व दिल्ली घोषणापत्र पर सर्वसम्मति का वैश्विक प्रभाव, भारत की वर्तमान एवं भविष्य की नेतृत्व के लिए भूमिकाओं के रूप में देख सकते है। चंद्रयान-3 की सफलता ने पहले ही भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाकर भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी देश के रूप में प्रस्तुत किया है। हाल में हुई दोनों ही घटनाएं, यह प्रदर्शित करती है कि यदि नेतृत्व में दूरदर्शिता, प्रतिबद्धता व इच्छा शक्ति हो तो बड़ी- बड़ी चीजों को भी हासिल किया जा सकता है।

बचपन में हम पढ़ते थे कि भारत एक अमीर देश है, जहां गरीब रहते हैं इससे हमें यह पता चलता है कि तत्कालीन नेतृत्व किस प्रकार भारतीयों की वास्तविक क्षमताओं को उभारने में नाकाम हुआ था। मोदी के सत्ता में आते ही यह परिदृश्य पूरी तरह से परिवर्तित हुआ है। हमें कई बार महसूस हुआ कि प्रधानमंत्री की कुछ पहल बहुत महत्वाकांक्षी एवं असंभव सी है। तत्पश्चात हमने देखा की यदि मजबूत इरादे को लेकर नेतृत्व किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है।

हम देखते है की हर समय विपक्ष का रवैया आलोचनात्मक व नई पहलों के लिए रुकावट करने वाला रहा हैं, ऐसे में सभी उद्देश्य पूर्ति कोई छोटी उपलब्धियां नहीं हैं। कोविड संकट से निपटना तय समय में सफलतापूर्वक घरेलू वैक्सीन तैयार करना और 230 करोड़ लोगो तक वैक्सीन पहुचाना एक सुचारू प्रशासनिक दक्षता का ही प्रमाण है। कोविड के बाद आर्थिक विकास, आर्थिक सुधार को सटीक समय पर लागू करना, राजकोषीय प्रोत्साहन व महंगाई का सफल प्रबंधन, सरकार की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ है। कोविड के बाद विश्व के अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे राष्ट्र भी आर्थिक संकट से जूझ हैं जबकि भारत इससे अलग तीव्र गति से आर्थिक विकास पर अग्रसर है।

भारत द्वारा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (यूपीआई) का विकास, जिसका गुणगान आज दुनिया कर रही है, आधुनिक मानव इतिहास में अद्वितीय साबित हो रहा है।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि भारत के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम ने 47 साल के काम को मात्र 6 साल में पूरा कर दिखाया है। दिल्ली घोषणापत्र में जी-20 देशों द्वारा यूपीआई को अपनाना इस बात की ओर संकेत करते हैं कि वसुधैव कुटुंबकम (विश्व एक परिवार है) और आनो भद्राः क्रतवो: यंतु विश्वतः (हर दिशा से नेक विचार हमारे पास आएं) की हमारी प्राचीन अवधारणा मात्र दार्शनिक कथन नहीं हैं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हें अपनी इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता से ज़मीन पर लागू करके दिखाया है। विकासशील देशों को वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत मुफ्त टीके उपलब्ध करवाना हो या वैक्सीन पर आईपीआर प्रतिबंधों को दूर करना, प्रधानमंत्री जी का हर एक कदम सराहनीय रहा है। अब जी-20 के माध्यम से भारत अपने डिजिटल इन्फास्ट्रक्चर मॉडल को विश्व के लिए पब्लिक गुड के रूप में प्रस्तुत कर रहा है । इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि किसी वित्तीय कार्यक्रम को आईटी दिग्गजों के व्यक्तिगत लाभ व व्यवसाय के लिए नहीं बल्कि सबकी भलाई के लिए सार्वजानिक रूप से पेश किया जा रहा है।

यह एक महत्वपूर्ण भारतीय उपलब्धी है जो कि वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रस्तुत किया गया है। मेरे लिए यह न सिर्फ प्रधानमंत्री का जन कल्याण कार्यक्रम है जो ‘एक राष्ट्र, एक परिवार, एक भविष्य’ का संदेश देता है बल्कि यह कार्यक्रम हमारा ध्यान इसलिए भी आकर्षित कर रहा है क्योंकि यह भारतीय नेतृत्व को वैश्विक पहचान देने का एक जरिया है। घरेलू कनेक्टिविटी वाला बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश हो या अभी जी-20 समूह के अंतर्गत भारत- मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा यह भारत में निवेश की सम्भावनाओं को तो बढ़ा रहा है और हमारी व्यापर एवं रणनीतिक सुरक्षा की आवश्यकतों को भी मजबूत करेगा। यह आर्थिक गलियारा न सिर्फ प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि और मेहनत का परिचायक है बल्कि स्वेज कैनल व बंदरगाहों के माध्यम से व्यापार मार्ग को सुरक्षित करने के लिए इजरायल और ग्रीस जैसे यूरोपिय देशों से वार्तालाप करने की उनकी सूझबूझ का भी परिचायक है।

भारत – मध्य पूर्व यूरोप गलियारा, चीन के बीआरआई का जवाब है। बीआरआई के तहत एक के बाद एक देश जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका व केन्या कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हैं । अब भारत दक्षिण एशियाई देशों की मजबूत आवाज भी बन रहा है और अफ्रीकी देशों के विकास और एकीकरण के स्वर को बुलंद कर रहा है।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा

कुशल नेतृत्व से आगे बढ़ता देश

कश्मीर में अनुछेद 370 की समापति के साथ वहां शांति कायम करना और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण इन दो बड़ी चुनौतियों से निपटने में वर्तमान नेतृत्व सक्षम साबित हुआ है।

इस अगस्त 2023 में हम अपनी आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। भारत अब आंतरिक और बाह्य दोनों रूप से मजबूत राष्ट्र बन चुका है। यह हमारे वर्तमान नेतृत्व द्वारा दिखाए गए दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता से संभव हुआ है। अपने ऐतिहासिक महत्व के अलावा अभी पिछले वर्षों में मोदी जी के नेतृत्व में एवं श्री अमित शाह जी के कुशल मार्गदर्शन में अगस्त महीने में किए गए महत्वपूर्ण कार्य देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के लिए मील के पत्थर साबित हो रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारा देश इस महीने का बेसब्री से इंतजार करता है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए मजबूत राष्ट्रवाद के लिए खड़ी रही है। चाहे वैश्विक कूटनीति हो, बाह्य या आंतरिक सुरक्षा हो, या आर्थिक प्रबंधन हो हमारी प्राथमिकता हमेशा राष्ट्रहित रहा है। मोदी सरकार की प्रमुख सफलताओं मे से एक, घरेलू शांति और स्थिरता की स्थापना और आतंकवाद के संकट को जड़ से खत्म करना है और देश के गृह मंत्री के रुप में अमित शाह जी प्रधानमंत्री के लिए सक्षम सहयोगी साबित हुए हैं। घरेलू समस्याओं पर उनका कड़ा रुख जो भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित कर रहे थे, जिससे देश में लगातार अनिश्चितताएं और संप्रदायिक तनाव पैदा हो रहे थे, और जो भाजपा के मूल एजेंडे में थे, वे अनुकरणीय रहे हैं।

आजादी के बाद कई दशकों तक संसद कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए अनुच्छेद 370 को खत्म करने का संकल्प लेती रही है, लेकिन वहां की जमीनी हकीकत निराश और हताश करने वाली थी, यहां आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा था। पाकिस्तान चिल्ला रहा था कि वह भारत को हजार घाव देकर इसकी अखंडता को क्षत्-विक्षत कर देगा, प्रदेश की युवा निराश होकर पथराव कर रहे थे। भारत का नेतृत्व इस बात को जानता तो था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 370 को हटाना आवश्यक है, और यहीं सही कदम होगा लेकिन उसमें साहस और दृढ़ संकल्प की कमी थी। ऐसी धारणा बनी हुई थी कि अगर अनुच्छेद 370 हटा दिया गया तो इस क्षेत्र में रक्तपात हो जाएगा और अनुच्छेद 370 को हटाना असंभव लग रहा था, यहां तक कि इसे कमजोर करने का प्रयास भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आलोचना का कारण बन जाता था। धारा 370 को हटाने का कार्य जिस निपुणता के साथ किया गया वह अभूतपूर्व था। 5 अगस्त 2019 के पूर्व एवं बाद में जिस सुचारुता से संपूर्ण स्थिति से निपटा गया; भले वह सीमा के पार से होने वाली झड़पे हों, अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष में कश्मीर के मुद्दे पर भारत के पक्ष की स्वीकार्यता हो, या जमीनी स्तर पर कानून व्यवस्था हो, यह एक राजनेता की दृढ इच्छाशक्ति को दिखाता है।

यह भाजपा और देशवासियों के लिए एक सपने के साकार होने जैसा था। हालाकि मातृभूमि की अखंडता को बनाए रखने से अधिक बहुमूल्य कुछ भी नहीं है लेकिन यह जानकर बेहद संतुष्टि होती है कि हमने इस उद्देश्य को बिना किसी बड़ी क्षति के साथ हासिल किया। आज जम्मू कश्मीर में अमन-चैन है और वह आर्थिक विकास के पथ पर है। प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और गृह मंत्री की कुशलता ने काम को सुचारू रूप से कर दिया।

राम मंदिर एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। ऐतिहासिक रूप से भारत में सदियों से बहुसंख्यक हिंदुओं द्वारा अयोध्या में भव्य राम मंदिर की मांग और उससे उत्पन्न संघर्ष से सांप्रदायिक तनाव बना रहता था। मंदिर का संबंध हिंदुओं की अस्मिता और स्वाभिमान से जुड़ा है। राम मंदिर के लिए हिंदुओं का संघर्ष और अन्य समुदाय द्वारा इसके विरोध के कारण देश में कई दंगे हुए और लाखों लोगों की जान चली गई। देश में सभी ने यह उम्मीद खो दी थी कि इस मुद्दे का हल निकाला जा सकता है, और यह मानसिकता बन गई थी कि आने वाली सदियों तक हमारे राष्ट्र जीवन में यही दुखदायी स्थिति बनी रहेगी। हम सभी ने अयोध्या में एक भव्य मंदिर का सपना देखा था जिसके पूरा होने की उम्मीद कम होती जा रही थी। न्यायालय के अंदर और बाहर की प्रक्रिया हो या सुप्रीम कोर्ट के मंदिर के पक्ष में आदेश से पहले और बाद में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी, जिस निपुणता से निभाई गई, यह प्रमाण है कि किसी उद्देश्य के प्रति दूरदर्शी सोच एवं प्रतिबद्धता एक दुर्लभ गुण है लेकिन एक बार यह नेतृत्व में आ जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी जी‌ और गृह मंत्री अमित

शाह जी ने वह राजनीतिक कौशल अपने कार्यों में के प्रति दिखाया है। देश में कहीं कोई विशेष सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ। राम मंदिर के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था और अब हर गुजरते दिन के साथ अयोध्या में भव्य राम मंदिर हकीकत में तब्दील होता जा रहा है।

मैं ऐसे कई उदाहरणों के बारे में बात कर सकता हूं, लेकिन मैं तीन तलाक के मुद्दे तक सीमित रहूंगा। तीन तलाक की कुप्रथा मुस्लिम महिलाओं के अस्तित्व के लिए अभिशाप है। वे दशकों से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और छद्म धर्मनिरपेक्षता की राजनीति की शिकार थी। कांग्रेश के वोट बैंक की राजनीति इस हद तक आगे बढ़ गई थी कि महिलाओं की सामाजिक समानता एवं उनका सशक्तिकरण और हमारे संविधान के अंतर्गत निर्देशित समानता को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज कर दिया गया। संसद में भारी बहुमत के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक को पलट दिया गया, जैसा कि शाह बानो मामले में हुआ था। 1 अगस्त 2019 को पारित विधेयक के माध्यम से तीन तलाक को अवैध बनाए जाने से भारत की मुश्किल महिलाएं सशक्त हुई हैं।

भारत वास्तव में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। अब भारत एक शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त राष्ट्र है, जिसके कई विवादास्पद मुद्दे सुलझ गए हैं; अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत के विचारों को विश्व मंच पर सम्मान के साथ माना जाता है, एक मजबूत राष्ट्र के रुप में हमारी छवि अब अच्छी तरह स्थापित हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी जी एवं श्री अमित शाह जी की सक्षम कार्यशीलता भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। देश आशान्वित है कि यह गतिशील जोड़ी एक विकासशील राष्ट्र के रूप में हमारे सामने आने वाली दुर्गम चुनौतियों को सफलतापूर्वक काबू कर के हमें सदा सुखद आश्चर्य देती रहेगी।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा

A peaceful India free of disturbances is taking the global centre stage

By Gopal Krishna Agarwal,

This August, we are celebrating the 76th year of our Independence. India now is a much stronger nation, internally as well as externally. This has been possible due to the determination and vision shown by our current leadership.

Apart from its historical import, the month of August has acquired additional significance due to some major milestones accomplished in the recent past, during this month.

The Bharatiya Janata Party (BJP) has always stood for strong nationalism and keeping national interest above all other considerations. The focus on India First, whether it is in global diplomacy, external and internal security, or economic management, is undiluted. One of the key successes of the government has been the establishment of domestic peace, stability and the elimination of the scourge of terrorism. Home minister Amit Shah has strongly dealt with issues at home – at the core of the BJP’s agenda which bogged down India’s internal security and caused continuous uncertainties and communal tensions in the country.

For decades since Independence, Parliament has been reiterating that Jammu and Kashmir is an integral part of India, but the region continued to be disturbed on the ground, fostering and breeding terrorism.

Pakistan was bent on bleeding India through a thousand cuts. The young were disenchanted and resorted to pelting stones. The Indian leadership knew that removing Article 370 was the right step to ensure national security, but lacked the courage and conviction. The narrative was that once Article 370 is removed, there will be bloodshed in the region, and even attempting to dilute it would invite international backlash.

The way the nullification of Article 370 was handled with surgical precision was unprecedented. On August 5, 2019, the smoothness of the handling of the whole situation involved dealing with cross-border skirmishes and international perspectives through determined operations on the ground. Though no cost is high enough to be paid to maintain the territorial integrity of our motherland, it was deeply satisfying to note that the objective was achieved with little loss of life or damage to public property. Today, there is peace and tranquillity in Jammu and Kashmir and it is on the path of economic development. The PM’s vision and home minister’s acumen accomplished the task.

The Ram temple in Ayodhya was another contentious issue. History tells us that the communal tension in India had its genesis in the demand by Hindus of a grand Ram at Ayodhya. The temple was related to the Asmita and Swabhiman (self respect) of Hindus. This issue led to several riots and the loss of lives. We all dreamt of a grand temple at Ayodhya, with little hope of it being fulfilled. But the adroitness in maintaining law and order before and after the 2019 Ram Janam bhoomi verdict by the Supreme Court underlined the visionary commitment to a cause. Despite the sensitivity of the issue, there were no riots or tension anywhere in the country.

Bhumi pujan (groundbreaking ceremony) for the Ram Mandir” was held on August 5, 2020, and now the grand temple is turning into a reality. There are many such instances, but I will not go beyond the issue of triple talaq. The practice of triple talaq is the bane of Muslim women as they were the primary victims of the politics of appeasement. The vote bank of previous governments went to such of previous governments went to such an extent that gender equality, women  empowerment, and equality before the law as enshrined under our Constitution, were blatantly ignored and the apex court’s decisions g were reversed through a brute majority in Parliament, as seen in the Shah Bano case in 1985. With triple talaq made illegal in August 2019, India’s Muslim women have been empowered. India is truly coming of age as a strong nation. India is now peaceful, free of disturbances, with many of the contentious issues settled, and whose point of view on global issues is being considered with respect. Our image as a strong and no-nonsense nation is now well established. PM Modi, with the able assistance of Shah, is taking India to newer heights.

Gopal Krishna Agarwal is national spokesperson of the BJP

‘India has become engine of growth for global economy’

By Gopal Krishna Agarwal

National Spokesperson of BJP,

While many countries in Europe are reeling under recession, India is an outlier, one of the fastest growing economies in the world and attracting the highest fdi

India has become the engine of growth for the global economy under the present government at the Centre, headed by Prime Minister, Narendra Modi. When we came to power in 2014, our economy was facing twin balance sheet problem, the banks were extremely weak and the corporate sector was highly leveraged and not in a position to service debts. Due to several initiatives, the economy is deleveraged and the banking sector is strong now, says Gopal Krishna Agarwal, National Spokesperson of Bharatiya Janata Party, in an exclusive interaction with Bizz Buzz

What is your view about India becoming $5 trillion economy?

Very heartening to know that, Indian GDP is moving towards $5 trillion, not only Indian economy is doing good, it is the fastest growing major economy of the world for two consecutive years, and is poised to be the same for the coming year too. In fact, India has become the engine of growth for the global economy. When we came to power in 2014, our economy was facing twin balance sheet problem, the banks were extremely weak and the corporate sector was highly leveraged and not in a position to service debts. Due to several initiatives, the economy is deleveraged and the banking sector is strong now. Banking Sector reforms include NPA resolution, IBC and Capital infusion. Thus, the country’s economy is deleveraged, and can go for fresh investments from the private sector. Leadership and vision makes all the difference, it was possible due to able macroeconomic management by Modi government.

What is your view on inflation? Inflation has come down from double digit to less than 5 per cent to at 4.25 per cent retail inflation and food inflation at 2.91 per cent. What is your comment on GDP growth? As per NSSO data Indian GDP growth rate is at 7.2 per cent (despite global headwind) and Q4 GDP growth rate is 6.1 per cent YoY, punctures hole in the narration of pent up demand. Earlier, predictions had been made that the GDP growth rate will come down going forwards. But figures show that Indian economy is headed in the right direction and there is considerable momentum. Please throw some light on collection of direct and indirect taxes.
GST collection in April 2023 was at Rs 1.87 lakh crore, despite reduction in average net GST rate to 11.6 per cent as per RBI report. Similarly, direct tax collection was to the tune of Rs 16.61 lakh crore, an increase of 17.63 per cent over last year (FY23). Of course, we achieved this in spite of reduction in corporate tax and higher exemption in personal tax. Your view on other economic parameters like PMI, IIP etc. Purchase manager Index (PMI) for the manufacturing sector currently stands at 57.2 whereas in case of services sector, it was at 62, which shows the highest after 13 years. Both are in the expansionary mode. Coming on IIP, the figure for April is 4.2, up from March 2023, shows robust growth in the manufacturing sector. In terms of infrastructure standing, Capex of government has increased to 3.3 per cent of GDP. Average share of Capex to total expenditure is 16.8 per cent, this shows increase in the quality of expenditure of the Union Government.

How can we say that the country was having its robust economy at present? Well, major data points to robust economy include FDI in year 21-22 was $84.8 billion, exports have crossed $770 billion in 2022-23. Moreover, the country has the third largest startup ecosystem and 115 Unicorns. Besides, India boasts of having the highest digital payment at Rs 15,468 lakh crores value digital transactions. Not only that, India ranks first in fintech adoption. We are among the top mobile manufactures in the world. Above all, Air India disinvestment is the best example of privatisation of PSE policy. How can we say that govt is moving in the right direction? Govt has been working in a team spirit with the financial institutions particularly RBI and Ministry of Finance. The test of independence of an institution is not an adversarial relation with the govt but working together to make a strong economy. Leadership and vision makes all the difference, able macroeconomic management by Modi government, the counter cyclical measures taken by the RBI and the ministry and staggered approach in the fiscal stimulus package- Aatma Nirbhar Bharat Package have helped the Indian economy to recover post Covid, and manage inflation, recession and fiscal deficit. Give some examples of formalisation of economy and policy reforms. They include GST, E assessment, DBT, financial inclusion, IBC, PLI, fintech, UPI, digital India, audit trail. Can you explain future orientation of Budget? This is visible by facts like AI, renewable energy, blockchain, green hydrogen, connectivity, cultural economy (art, culture, music, dance, food, festival, architecture, tourism).

What are the major achievement of Narendra Modi govt? The major achievements have been management of Covid pandemic and economic recovery package thereafter. The pandemic has caused global disruption among major economies. US the largest economy in the world is facing unprecedented inflation not seen for the last 40 years of its history. One country after another in Europe reeling under recession whether it’s UK, Germany, France and, even China has not come out of the shock it received from the forced lockdown during Covid19. India is an outlier, one of the fastest growing economy in the world, attracting highest FDI. Banks after banks in US and Europe are failing and are going for bankruptcy. There central banks do not seem to have the road map to deal with the situation. They lack institutional capability to oversee crisis. Contrast this the way our government and institution have dealt with the problem of pandemic. Due to visionary approach and concerted efforts of the government and the institutional resilience to meet the crises, all the three major macro-economic parameters inflation, recession and fiscal deficit are in healthy domain. International institutions, Morgan Stanley report points towards healthy growth prospects for the Indian economy. Google’s Economy report says that internet economy of India will grow 5 times between 2023 and 2030 and will contribute about 12-13 percent of GDP. Enablers like Aadhar, UPI, Digi locker, ONDC, Unified Health interface, India stack, Rupay and NPCI network abroad and software services is expected to be a big export growth area. On this background I would like to state that the global interest in India is steaming from the realization that in the coming decades the economic activity is moving toward India. India will be a major driver for global economy. All this is because we have a determined and visionary leadership in Shri Narendra Modi Ji.

भारत हाल के वर्षो में बड़ी वैशविक शक्ति के रूप में उभड़ा है

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

भारत अगर आने वाले समय में अपने आप को विश्वगुरु के स्थान पर देखता है, तो आवश्यक है कि वह आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा हो। वैश्विक पटल पर आर्थिक महाशक्ति हुए बिना कोई भी देश हमारे नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगा। चाहे कूटनीति का क्षेत्र हो या व्यापारिक आदान-प्रदान की संधि, सीमा विवाद, पर्यावरण के विषय, पानी का बंटवारा सभी क्षेत्र में आर्थिक रूप से सशक्त देश की ही बात मानी जाती है। यहां तक कि आयात-निर्यात के विषय भी आर्थिक सक्षमता के आधार पर ही तय किए जाते हैं। आज कूटनीतिक स्तर पर भारत का जो प्रभाव बढ़ रहा है, उसका महत्वपूर्ण कारण भारत की बढ़ती आर्थिक स्थिति है। हम ही नहीं, विश्व भी आज मान रहा है कि आने वाले समय में भारत का आर्थिक विकास बहुत तेज गति से होगा। आने वाले दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व के सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी। हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ रही है। हमारे यहां विश्व में सबसे ज्यादा निवेश हो रहा है। अभी हाल में उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 संपन्न हुआ है। उसने दिखा दिया कि भारत में निवेश के लिए विश्व के लोग बहुत लालायित हैं। कुल निवेश का लक्ष्य दस लाख करोड़ रुपये रखा गया था लेकिन अनुबंध साढ़े तैंतीस लाख करोड़ रुपये के हुए हैं। अभी भारत की टाटा समूह की एयरलाइंस एयर इंडिया ने फ्रांस और अमेरिका से 800 हवाई जहाज खरीदने का सौदा किया है, जिसका स्वागत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रोन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देकर किया।

कोविड महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था महंगाई, मंदी और बजटीय घाटे के चक्रव्यूह में फंस गई है। हर जगह मंदी के संकेत दिखने लगे हैं। चाहे अमेरिका हो, या चीन या यूरोप जैसे विश्व के आर्थिक रूप से विकसित देश हों या फिर पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की जैसे विकासशील देश सभी के आर्थिक विकास की गति डगमगा गई है। इनके द्वारा कोविड महामारी से निजात पाने के लिए जो नीतियां अपनाई गई थी, वह सकारात्मक परिणाम नहीं ला पाई हैं।

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अपनाई गई आर्थिक-सामाजिक नीतियों के परिणामस्वरूप भारत आज विश्व की सबसे तीव्र गति से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है और दुनिया में अग्रणी अर्थव्यवस्था वाले देश में शुमार है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार अपना देश महंगाई को नियंत्रित करने में सफल है। दुनिया के अनेक देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। हमारी अर्थव्यवस्था मंदी से उभरकर रफ्तार पकड़ चुकी है और अब इस बजट में स्पष्ट कर रूप से वित्तीय घाटे को पाटने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। आने वाले वर्ष में वित्तीय घाटा 5.9% हो जाएगा और वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह 4.5% रहेगा, ऐसा लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

चाहे फार्मा का क्षेत्र हो, वैक्सीन की बात हो, डिफेंस में तेजस फाइटर प्लेन का निर्यात हो, यूपीआई द्वारा डिजिटल लेनदेन का कार्य हो, ऊर्जा क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, ऑटोमोबाइल का उत्पादन हो, सब क्षेत्रों में भारत अग्रणी भूमिका में आ रहा है। 5जी और कार्बन उत्सर्जन में हम विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। सड़क निर्माण, रेल मार्ग, संगीत, नृत्य कला, उत्सव आर्किटेक्चर सभी की भारत में समृद्धि के रहते हुए पर्यटन की प्रचुर संभावनाएं हैं। चाहे बहुराष्ट्रीय प्लेटफार्म हो जैसे जी-20, डब्लूईएफ, विश्व व्यापार संगठन, ओईसीडी, क्वाड, एससीओ या संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् की सदस्यता, सभी में भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। वैश्विक स्तर पर भारत के प्रधानमंत्री की राय सुनी जाती है, मानी जाती है।

द्विराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के प्रति भी सभी देशों का रुझान भारत की ओर बढ़ रहा है। हम संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप और अमेरिका से व्यापार संधि कर रहे हैं। आने वाले समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि के अनुसार भारत आर्थिक महाशक्ति अवश्य बनेगा। देश में जिस तरह के आर्थिक नीतिगत रिफ़ार्म की आवश्यकता है, उसे मजबूत इच्छाशक्ति के साथ लागू करने वाला यह बजट 2023-24 है। श्रीमती निर्मला सीतारमण जी द्वारा प्रस्तुत श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का 2023-24 वाला बजट अमृत काल की आधारशिला रखेगा। और भारत को विश्वगुरु के स्थान पर ले जाने वाला बजट है।

सरकार का आधारभूत संरचना के लिए व्यय बढ़ाने पर निरंतर ध्यान केंद्रित रखना अपने देश के चौतरफा विकास को सुनिश्चित करेगा। भारत की मजबूत आर्थिक व्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इस पर कुल पूंजीगत व्यय 33% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। देश में बुनियादी सुविधाओं के विकास से आर्थिक तरक्की को तेजी मिलेगी।

इस बार सरकार ने किसी भी प्रकार के नए कर भी नहीं लगाए हैं और सभी करदाताओं को राहत प्रदान की है। अपने आधारभूत संरचना निर्माण व जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास आवास योजना, छोटे मध्यम और मझोले उद्योगों की सहायता, कृषि एवं सहकारी क्षेत्र को विशेष राहत दी है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार आधारभूत क्षेत्र में एक रुपया खर्च करती है तो उससे अर्थव्यवस्था में तीन रुपये के लगभग की मांग सृजित करने की क्षमता होती है और वहीं सरकार द्वारा सीधी आर्थिक मदद में एक रुपये में से पंचानबे पैसे की मांग ही सुनिश्चित हो पाती हैं।

छोटे करदाताओं को विशेष राहत मिली है। सात लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले हर व्यक्ति को शून्य टैक्स देना पड़ेगा। युवाओं के कौशल विकास के लिए केंद्रों का निर्माण, कर्मयोगी योजना में हाथ से काम करने वालों के सशक्तीकरण का विशेष प्रावधान है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए वैकल्पिक ऊर्जा जैसे हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और हरित विकास के तहत कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाएगा। नए महत्वपूर्ण क्षेत्र जो आने वाले समय में देश को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेंगे जैसे कृत्रिम बुद्धिमता और 5G सेवा पर ध्यान केंद्रित किया गया है और विशेष सहायता सहायता के प्रावधान किये गये हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी बड़ी पहल की गई है। समुद्र के तट पर मैनग्रोव पौधरोपण और नमभूमि में वन संपदा को संरक्षित करने की भी घोषणा महत्वपूर्ण है।

‘गरीब कल्याण’ हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इस बजट में करीब 2 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान से सभी अंत्योदय वाले परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न देने की योजना को एक साल और बढ़ाने की भी घोषणा की गई है। मत्स्य पालन में शामिल लोगों को सक्षम बनाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाएगी। मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी इस बार विशेष योजना ‘श्री अन्न’ के माध्यम से की गई है इससे किसानों की आय बढ़ेगी और सभी स्वास्थ्य लाभ भी होगा। सामाजिक न्याय प्रक्रिया को सुगम एवं सर्वग्राही बनाने के लिए भी घोषणाएं की गई हैं। ई-कोर्ट की स्थापना की पहल की गई है। कैदियों के मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए जिनके पास जमानत की राशि की व्यवस्था नहीं है, उनके लिए सहायता राशि आवंटित की गई है।

दुनिया की निगाहें भारत पर है, क्योंकि हमारा देश G20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस अवसर को ध्यान में रखते हुए पर्यटन के लिए 50 स्थानों पर केंद्र सरकार सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, होटल, कनेक्टिविटी पर खर्च करेगी और संस्कृति, वास्तु क्षेत्र, विभिन्न वेशभूषाएं, भाषाएं, नृत्य, वाद्य सभी कलाओं को वहां प्रोत्साहित किया जाएगा। बजट भारत की विकास यात्रा को जारी रखने वाला है।
इसमें कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री का जो संकल्प है, कि आने वाले समय में भारत विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित हो, इसके लिए हमें आर्थिक महाशक्ति बनना होगा। यह बजट उसका मार्ग प्रशस्त करने के लिए नींव का पत्थर साबित होगा। अब हमें सामूहिक संकल्प के साथ बजट के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

महाशक्ति होने के मार्ग पर मील का पत्थर

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

भारत अगर आने वाले समय में अपने आप को विश्वगुरु के स्थान पर देखता है, तो आवश्यक है कि वह आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा हो। वैश्विक पटल पर आर्थिक महाशक्ति हुए बिना कोई भी देश हमारे नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगा। चाहे कूटनीति का क्षेत्र हो या व्यापारिक आदान-प्रदान की संधि, सीमा विवाद, पर्यावरण के विषय, पानी का बंटवारा सभी क्षेत्र में आर्थिक रूप से सशक्त देश की ही बात मानी जाती है। यहां तक कि आयात-निर्यात के विषय भी आर्थिक सक्षमता के आधार पर ही तय किए जाते हैं। आज कूटनीतिक स्तर पर भारत का जो प्रभाव बढ़ रहा है, उसका महत्वपूर्ण कारण भारत की बढ़ती आर्थिक स्थिति है। हम ही नहीं, विश्व भी आज मान रहा है कि आने वाले समय में भारत का आर्थिक विकास बहुत तेज गति से होगा। आने वाले दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व के सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी। हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ रही है। हमारे यहां विश्व में सबसे ज्यादा निवेश हो रहा है। अभी हाल में उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 संपन्न हुआ है। उसने दिखा दिया कि भारत में निवेश के लिए विश्व के लोग बहुत लालायित हैं। कुल निवेश का लक्ष्य दस लाख करोड़ रुपये रखा गया था लेकिन अनुबंध साढ़े तैंतीस लाख करोड़ रुपये के हुए हैं। अभी भारत की टाटा समूह की एयरलाइंस एयर इंडिया ने फ्रांस और अमेरिका से 800 हवाई जहाज खरीदने का सौदा किया है, जिसका स्वागत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रोन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देकर किया।

कोविड महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था महंगाई, मंदी और बजटीय घाटे के चक्रव्यूह में फंस गई है। हर जगह मंदी के संकेत दिखने लगे हैं। चाहे अमेरिका हो, या चीन या यूरोप जैसे विश्व के आर्थिक रूप से विकसित देश हों या फिर पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की जैसे विकासशील देश सभी के आर्थिक विकास की गति डगमगा गई है। इनके द्वारा कोविड महामारी से निजात पाने के लिए जो नीतियां अपनाई गई थी, वह सकारात्मक परिणाम नहीं ला पाई हैं।

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अपनाई गई आर्थिक-सामाजिक नीतियों के परिणामस्वरूप भारत आज विश्व की सबसे तीव्र गति से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है और दुनिया में अग्रणी अर्थव्यवस्था वाले देश में शुमार है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार अपना देश महंगाई को नियंत्रित करने में सफल है। दुनिया के अनेक देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। हमारी अर्थव्यवस्था मंदी से उभरकर रफ्तार पकड़ चुकी है और अब इस बजट में स्पष्ट कर रूप से वित्तीय घाटे को पाटने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। आने वाले वर्ष में वित्तीय घाटा 5.9% हो जाएगा और वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह 4.5% रहेगा, ऐसा लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

चाहे फार्मा का क्षेत्र हो, वैक्सीन की बात हो, डिफेंस में तेजस फाइटर प्लेन का निर्यात हो, यूपीआई द्वारा डिजिटल लेनदेन का कार्य हो, ऊर्जा क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, ऑटोमोबाइल का उत्पादन हो, सब क्षेत्रों में भारत अग्रणी भूमिका में आ रहा है। 5जी और कार्बन उत्सर्जन में हम विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। सड़क निर्माण, रेल मार्ग, संगीत, नृत्य कला, उत्सव आर्किटेक्चर सभी की भारत में समृद्धि के रहते हुए पर्यटन की प्रचुर संभावनाएं हैं। चाहे बहुराष्ट्रीय प्लेटफार्म हो जैसे जी-20, डब्लूईएफ, विश्व व्यापार संगठन, ओईसीडी, क्वाड, एससीओ या संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् की सदस्यता, सभी में भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। वैश्विक स्तर पर भारत के प्रधानमंत्री की राय सुनी जाती है, मानी जाती है।

द्विराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के प्रति भी सभी देशों का रुझान भारत की ओर बढ़ रहा है। हम संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप और अमेरिका से व्यापार संधि कर रहे हैं। आने वाले समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि के अनुसार भारत आर्थिक महाशक्ति अवश्य बनेगा। देश में जिस तरह के आर्थिक नीतिगत रिफ़ार्म की आवश्यकता है, उसे मजबूत इच्छाशक्ति के साथ लागू करने वाला यह बजट 2023-24 है। श्रीमती निर्मला सीतारमण जी द्वारा प्रस्तुत श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का 2023-24 वाला बजट अमृत काल की आधारशिला रखेगा। और भारत को विश्वगुरु के स्थान पर ले जाने वाला बजट है।

सरकार का आधारभूत संरचना के लिए व्यय बढ़ाने पर निरंतर ध्यान केंद्रित रखना अपने देश के चौतरफा विकास को सुनिश्चित करेगा। भारत की मजबूत आर्थिक व्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इस पर कुल पूंजीगत व्यय 33% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। देश में बुनियादी सुविधाओं के विकास से आर्थिक तरक्की को तेजी मिलेगी।

इस बार सरकार ने किसी भी प्रकार के नए कर भी नहीं लगाए हैं और सभी करदाताओं को राहत प्रदान की है। अपने आधारभूत संरचना निर्माण व जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास आवास योजना, छोटे मध्यम और मझोले उद्योगों की सहायता, कृषि एवं सहकारी क्षेत्र को विशेष राहत दी है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार आधारभूत क्षेत्र में एक रुपया खर्च करती है तो उससे अर्थव्यवस्था में तीन रुपये के लगभग की मांग सृजित करने की क्षमता होती है और वहीं सरकार द्वारा सीधी आर्थिक मदद में एक रुपये में से पंचानबे पैसे की मांग ही सुनिश्चित हो पाती हैं।

छोटे करदाताओं को विशेष राहत मिली है। सात लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले हर व्यक्ति को शून्य टैक्स देना पड़ेगा। युवाओं के कौशल विकास के लिए केंद्रों का निर्माण, कर्मयोगी योजना में हाथ से काम करने वालों के सशक्तीकरण का विशेष प्रावधान है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए वैकल्पिक ऊर्जा जैसे हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और हरित विकास के तहत कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाएगा। नए महत्वपूर्ण क्षेत्र जो आने वाले समय में देश को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेंगे जैसे कृत्रिम बुद्धिमता और 5G सेवा पर ध्यान केंद्रित किया गया है और विशेष सहायता सहायता के प्रावधान किये गये हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी बड़ी पहल की गई है। समुद्र के तट पर मैनग्रोव पौधरोपण और नमभूमि में वन संपदा को संरक्षित करने की भी घोषणा महत्वपूर्ण है।

‘गरीब कल्याण’ हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इस बजट में करीब 2 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान से सभी अंत्योदय वाले परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न देने की योजना को एक साल और बढ़ाने की भी घोषणा की गई है। मत्स्य पालन में शामिल लोगों को सक्षम बनाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाएगी। मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी इस बार विशेष योजना ‘श्री अन्न’ के माध्यम से की गई है इससे किसानों की आय बढ़ेगी और सभी स्वास्थ्य लाभ भी होगा। सामाजिक न्याय प्रक्रिया को सुगम एवं सर्वग्राही बनाने के लिए भी घोषणाएं की गई हैं। ई-कोर्ट की स्थापना की पहल की गई है। कैदियों के मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए जिनके पास जमानत की राशि की व्यवस्था नहीं है, उनके लिए सहायता राशि आवंटित की गई है।

दुनिया की निगाहें भारत पर है, क्योंकि हमारा देश G20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस अवसर को ध्यान में रखते हुए पर्यटन के लिए 50 स्थानों पर केंद्र सरकार सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, होटल, कनेक्टिविटी पर खर्च करेगी और संस्कृति, वास्तु क्षेत्र, विभिन्न वेशभूषाएं, भाषाएं, नृत्य, वाद्य सभी कलाओं को वहां प्रोत्साहित किया जाएगा। बजट भारत की विकास यात्रा को जारी रखने वाला है।
इसमें कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री का जो संकल्प है, कि आने वाले समय में भारत विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित हो, इसके लिए हमें आर्थिक महाशक्ति बनना होगा। यह बजट उसका मार्ग प्रशस्त करने के लिए नींव का पत्थर साबित होगा। अब हमें सामूहिक संकल्प के साथ बजट के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

The ideological debate and opportunist brigade

Democracy and secularism can’t be brought through constitution alone, it is the collective will of the people that can bring it. These virtues have to be guarded from the evil eye. Who can guard them? We the people of India.Ideological debate is going on in BJP. The moot question in every bodies mind is, what is the core ideology of BJP and per say Sangh Parivar. Is RSS against freethinking or freedom of expression? Is there different yardstick to access different people? If a Swayamsevak thinks differently, can he express himself?I am not sure whether, this great opportunist brigade, who are so vehemently espousing their right to express, will have the patience to hear counter arguments. As much as they are pained and concerned (pun intended) about the well being of the chief opposition party, I am equally pained to see how their actions are hurting the party of their choice.When the party came to power they came like honeybees. With the loss of two successive elections they lost all patience.

Their actions are hurting their own party and creating uncomfortable situations for it, as if they are looking for opportunities to downgrade the party and finding an alibi to leave it for greener pasture elsewhere. How else can their successive actions be explained?The unfolding of recent events is pointing forwards a well thought off strategy by opportunist to tarnish party’s image and search for an alibi to abandon it. These are the people who enjoyed the fruits of years of toil of our party workers. They came from outside and were placed at the helm of affairs. This was our humility and humbleness and not our incapability. I must agree with Shri Shourie when he says that Sangh is too democratic and its workers are very humble, they do not assert themselves at times and allow water to flow overboard.

Now I feet that a situation has come, when the whole nation owes an explanation from the party as to its core ideology, and its compulsions to act recently. I must clarify that I am not a party spokesperson; nevertheless I want to express myself. Ideology is the guiding force to the actions on ground. It is not static; it is dynamic and will change with the circumstances. How can that be so static as to get distracted by a mere statement like Jinnah being secular? Understand my fellow countrymen that Shri Jaswant Singh has been expelled for his timing, intentions and past actions besides hurting party beliefs. All ideological debates are welcome. We have the conviction to answer any questions on our beliefs. These convictions are borne out of lifetime of work and scarify with devotion to a cause, dear to our hearts. Our core belief are Hindutva and are all-inclusive. Hindu philosophy believes in the whole universe being part of one big family. How can its true followers and proponents tell me that Muslims are not our brothers, they can’t live in this country.

Is it possible? Either I am a big fraud or do not have the philosophical understanding. RSS believes in Hinduism with it’s all the tenets, whether its ‘universal brotherhood’ or ‘let noble thought comes to us from every side’. I can firmly say that RSS believes in an all-inclusive definition of Hinduism. Hindu philosophy in this country welcomed and honored people like Charwak, who attacked the basic tenets of our dharma, by calling them Rishis and Philosophers. Even Gautama Buddha, who vehemently attacked the Vedas, the very foundation of Sanathana Dharma, was incorporated as an incarnation of our God. That is the guiding principal for us to the freedom of expression. My request is, express what you believe in from the core of your heart, Sangh Parivar and Swayam sevak have the coverage and patience to hear it. The guiding force for Sangh Parivar is ‘let my country reach the pinnacle of glory which is all round and all persuasive’. And for that alone I am ready for any sacrifice. Jinnah was a split personality. History can’t judge an individual based on an isolated event. It is the overall assessment of life that will decide the personality. There is ample proof in history pointing to the fact that Jinnah was responsible for the partition of this country.

His isolated action or speech, out of context can’t decide his personality. I also believe that congress which was party to the partition and therefore equally responsible for it, found a scapegoat in Jinnah, to put all the blame on him alone. But this fact does not absolve Jinnah from his deeds. Intellectuals have an ability to camouflage their true intensions. Their choice of words is at times misleading and covers their intentions and true character. I am a great fan and admirer of Shri Arun Shourie’s intellect and convictions, since the time of emergency during which he courageously took on the might of a dictator. That time in my tender age of 13 years I also stood against emergency and took part in a nationwide Satya grah successfully led by Sangh Parivar. I was put behind bars under the Defense of India Rule (DIR) for about three months. The same coverage and convictions now compels me to speak against the present mess and denounce all rubbish. BJP is strong enough to overcome all difficulties.

We have the leadership at the present juncture and also for the future, who are well groomed in ideology, philosophy and the history of our glorious past. Who have the vision to see the future for a bright and prosperous motherland? BJP did one wrong move. When a party comes to power it needs intellectuals and administrative brains to serve government. It should have brought new people in the government but they should never have been allowed to become the face of the party. Let them be the face of the government but should not be given important positions in the party. Secondly, party should first explore and develop the people from its own cadre and nurture their talents and give opportunity to them, and then only it will groom long-term commitment. The premium should be on commitment and efficiency and not efficiency alone.

महागठबंधन का ढोंग और मोदीवाद के विरोध का हौआ

नरेंद्र मोदी से बेइंतेहा नफरत के कारण साथ आए और अपने राजनैतिक अस्तित्व के लिए लड़ने को मजबूर विभिन्न विपक्षी दल, बिना किसी साझा नीति या विचारधारा के, खुद को ‘महागठबंधन’ का नाम देकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को इस महागठबंधन का केंद्र माना जा रहा है लेकिन दूसरे राजनैतिक दल उसके नेतृत्व को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। राज्य स्तर पर महत्वपूर्ण उपस्थिति रखने वाली सारी पार्टियां भी महागठबंधन में शामिल नहीं हुई हैं। इससे स्पष्ट है कि एनडीए के खिलाफ संयुक्त रूप से एक विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करना जितना मुश्किल हो रहा है उतना पहले कभी नहीं हुआ।

अगर हम मतदाताओं के मामले में सबसे बड़े राज्यों से शुरू करें; उत्तर प्रदेश जहां समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया है लेकिन इसमें कांग्रेस नहीं है। पश्चिम बंगाल में कुछ शुरुआती बातचीत के बावजूद ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना नहीं है और कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बीच वाकयुद्ध जारी है। दिल्ली में माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगी, इसलिए उनके बीच भी किसी प्रकार के गठबंधन की संभावना नहीं है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) लेफ्ट डेमोक्रेटिक अलाइंस के खिलाफ खड़ा है और राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद तो लेफ्ट और कांग्रेस के बीच लड़ाई और भी तेज़ हो गई है और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी यही हाल है। कांग्रेस असम में बदरुद्दीन अज़मल के संगठन के साथ भी गठबंधन करने में विफल रही है। इन सभी राज्यों में त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला होगा, जिससे महागठबंधन का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा। इन 8 राज्यों में लोकसभा की 226 सीटें हैं।

हालाँकि, कांग्रेस खुद को एक राष्ट्रीय पार्टी कहती है लेकिन बिहार में महागठबंधन की मुख्य सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) है और कांग्रेस को 40 में से सिर्फ नौ सीटें दी गई हैं, जबकि बाकी सीटें उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी जैसे नेताओं के छोटे दलों को दे दी गईं। तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को केवल नौ सीटें मिली हैं जबकि पुडुचेरी में उसे लड़ने के लिए सिर्फ एक सीट दी गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों के लिए गठबंधन किया है और तीन अन्य सीटों पर दोस्ताना चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) ने 8 सीटें पाने के लिए काफी मोलभाव किया है और कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और राज्य में पहले ही जेडी(एस) के मुख्यमंत्री है।

महागठबंधन में दरारें आ चुकी हैं। झारखंड में 14 लोकसभा सीटें हैं। कांग्रेस को सात सीटें, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को चार, झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) को दो और लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी को एक सीट दी गई थी। आरजेडी ने सीटों के इस बंटवारे पर आपत्ति जताई और चतरा से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया जबकि यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी। झारखंड में सीट बंटवारे के समझौते के अगले दिन ही आरजेडी की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी भाजपा में शामिल हो गईं। महाराष्ट्र में कांग्रेस 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अपने लिए 22 सीटें हासिल करने में कामयाब रही है। एनसीपी के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस में आंतरिक कलह चल रही है और कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी इससे नाराज़ हैं।

जहां तथाकथित महागठबंधन को लेकर पूरी तरह से अनिश्चितताएं हैं, वहीं एनडीए के पास पहले से ही 39 राजनीतिक दलों का समर्थन है। एनडीए की एकता तभी नज़र आ गई थी जब उन्होंने बिहार की लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा एक साथ की थी। गुजरात के गांधी नगर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नामांकन के समय भी पूरी ताकत का प्रदर्शन किया गया। भाजपा पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। ये दोनों ही भाजपा के वर्षों पुराने सहयोगी हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता का विश्लेषण यह बताता है कि चुनाव पूर्व परिदृश्य में महागठबंधन खंड-खंड है और नेतृत्वहीन है। एनडीए की तुलना में अखिल भारतीय स्तर पर महागठबंधन की मौजूदगी भी वैसी नहीं है, जैसे एनडीए के सभी सहयोगी केवल एक नेता को आगे करके रैलियां कर रहे हैं और वो नेता हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। महागठबंधन में शामिल दल कई राज्यों में अलग-अलग चुनाव लड़ सकते हैं और जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में उनके बीच दोस्ताना लड़ाई भी होगी, यह सीटों के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह का समझौता कर पाने में मिली शर्मनाक विफलता के अलावा और कुछ भी नहीं है।

राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता का विश्लेषण यह बताता है कि चुनाव पूर्व परिदृश्य में महागठबंधन खंड-खंड है और नेतृत्वहीन है। एनडीए की तुलना में अखिल भारतीय स्तर पर महागठबंधन की मौजूदगी भी वैसी नहीं है, जैसे एनडीए के सभी सहयोगी केवल एक नेता को आगे करके रैलियां कर रहे हैं और वो नेता हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। महागठबंधन में शामिल दल कई राज्यों में अलग-अलग चुनाव लड़ सकते हैं और जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में उनके बीच दोस्ताना लड़ाई भी होगी, यह सीटों के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह का समझौता कर पाने में मिली शर्मनाक विफलता के अलावा और कुछ भी नहीं है। महागठबंधन का यह शोरशराबा केवल एक ढोंग है और मोदीवाद के विरोध का ये हौआ इस लोकसभा चुनाव से ज्यादा आगे नहीं बढ़ने वाला।

Farmers Protest: Roadmap ahead

There is a marked difference between the agitating farmers and the anti-social, ultra-left and pro-Khalistan elements piggy backing on these protesting farmers. Understanding this difference is important for all well meaning citizens, politicians, journalists, activists and anyone else who wishes to comment on the issues. This agitation is not merely a law and order issue and dealing it as such will be a mistake. Secondly this is not focused on the interest of the farmers, this also is not about the three farm laws alone, so any effort for explanation about the benefits of these laws will not cut any ice with the agitation leaders. Thirdly, the two different factions; the Sikhs of Punjab, concentrating on the singhu border and the other being the Jatz mostly from the western Uttar Pradesh, stationed at Ghazipur border are showing signs of strain in their relations. People at singhu border are averse to any political intervention, but at Ghazipur border, Rakesh tikait and his gang, show inclinations of political ambitions. How the government looks into these two strains is important in the coming weeks. The plot has thickened, with the global players like Poetic Justice, Sikh for Justice, Justin Trudeau, Greta Thunberg, Miya Khalifa etc. jumping on the bandwagon. It is a political movement against the Narendra Modi government and has to be dealt politically.

The complexity of the situation is that, the farm laws are good for the agriculture sector and will benefit farmers to a very large extent; attracting much needed private investment in this highly capital deficient sector, starving for market based reforms over several decades, but still the leaders of movement want repeal of these laws and will not accept any amendments. The government has already bent backwards, on different occasions, agreeing to more than a dozen amendments, meeting out farmer’s concerns on minimum support price (MSP) and offering to suspend these three laws for a period of up to two years, which itself makes them temporarily ineffective.

The government’s reluctance to repeal them stems from the conviction about the need for market oriented reforms in the farm sector and increasing the role of private players in the agriculture economy. This stand has been reiterated over two decades by agro economist, Parliament standing Committee on agriculture, empowered committee of the State agriculture ministers and several commissions on farm sector reforms. BJP is ideologically right to centre party, believes in markets economy and the important role of business and industry community in the economic development of the nation. If this moment of reckoning is lost, it will cause irreparable damage to democratic polity of the country. The question that pricks one’s mind is, will India move towards anarchy? “The tyranny of the unelected” or will respect the democratic institutions, like Parliament, Supreme Court and the process of law making as envisaged in the Constitution.

Reform as such is very difficult as the benefits comes with a time lag and are spread thin, whereas adverse impact on certain stakeholders are marked and are immediate. Lot of political capital is to be spent on carrying out reforms and so political class is reluctant to carry them out. As such we have not seen many major reforms after 1991 and even then the reforms were restricted to attracting foreign direct investment (FDI), financial sector and international trade, being carried out under compulsion of imminent sovereign default. The leadership at that time couldn’t muster the courage to undertake major requisite reforms in land, labour and agriculture segments. If this golden moment is lost in petty politics, we may not have any appetite left to undertake mega reforms. Also, there are no more, low hanging fruits available for reforms for the government.

Whoever may gain or lose out of this agitation, but farmers surely will be at a loss. This demonstration brute force and immaturity of farmers is a cause for worry and is majorly responsible for decades of inaction of the successive governments on agriculture reforms.

We the people of India must know that while there may have been certain shortcoming in the process of enactment of these laws, but they are the law of the land and serve the larger interest of the agriculture segment of the society. It is not in the interest of the country to get these laws repealed.

The responsibility of building right narration rests on all well meaning citizens of the country. It cannot be left to political class alone. Politics will be what it is with all its limitations in a democratic ecosystem. Let us all rise to the occasion. Among other things, the agitators have also been drawing strength from the misplaced sympathy of fellow countrymen. It is our duty to be well informed and support the Government in this path breaking reforms.

Gopal Krishna Agarwal

National Spokesperson of BJP

gopalagarwal@hotmail.com